महर्षि अत्रि

ऋषियों में श्रेष्ठ अत्रि मुनि अन्य सप्तर्षियो की भांति परमपिता ब्रह्मा के मानस पुत्र थे जिनकी उत्पत्ति ब्रह्मा के नेत्र से हुई बताई जाती है। इन्होने ने ही इंद्र, अग्नि, वरुण और अन्य वैदिक देवताओं के लिए ऋचाओं की रचना की थी। महर्षि अत्रि के विषय में सर्वाधिक वर्णन ऋग्वेद में किया गया है जहाँ ऋग्वेद के ५वें मंडल को महर्षि अत्रि के सम्मान स्वरुप 'अत्रि मंडल' के नाम से जाना जाता है। इस मंडल में महर्षि अत्रि से सम्बंधित ८७ सूक्त वर्णित हैं। इसके अतिरिक्त महर्षि अत्रि पुराणों, रामायण और महाभारत में भी वर्णित हैं।