महाराज मोरध्वज - जिन्होंने दानवीरता की सारी सीमाओं को पार कर दिया

महाराज मोरध्वज - जिन्होंने दानवीरता की सारी सीमाओं को पार कर दिया
हमारे देश में एक से एक महादानी हुए हैं किन्तु आज हम जिस व्यक्ति की बात करने वाले हैं उसने दानवीरता की सारी सीमाओं को पार कर लिया। ये कथा है महाराज मोरध्वज की। कथा महाभारत की है किन्तु मूल महाभारत का भाग नहीं है। भारतीय दंतकथाओं में इसकी बड़ी प्रसिद्धि है। विशेषकर छत्तीसगढ़ में इसे बड़े चाव से सुना और सुनाया जाता है।

चार वटवृक्ष जो अमर हैं

चार वटवृक्ष जो अमर हैं
हिन्दू धर्म में वटवृक्ष का क्या महत्त्व है इस विषय में कुछ बताने की आवश्यकता नहीं है। वैसे तो इस दुनिया में असंख्य वटवृक्ष हैं किन्तु उनमें से ५ ऐसे हैं जो अमर माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि उनका कभी नाश नहीं होता। तीर्थदीपिका में पांच वटवृक्षों का वर्णिन मिलता है:

ऋषि कितने प्रकार के होते हैं?

ऋषि कितने प्रकार के होते हैं?
कुछ समय पहले हमने ऋषि, मुनि, साधु, संन्यासी, तपस्वी, योगी, संत और महात्मा में क्या अंतर है, उसके बारे में बताया था। आज हम ऋषियों के प्रकार के बारे में जानेंगे। ऋषि वे ज्ञानी पुरुष थे जो शोध करते थे। अंग्रेजी का शब्द "रिसर्च" ऋषि शब्द से ही निकला है। ऋषि शब्द "ऋष" मूल से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ देखना होता है। इन्हे श्रुति ग्रंथों का अध्ययन एवं स्मृति ग्रंथों की रचना और शोध करने के लिए जाना जाता है।