रघुपति राघव राजा राम - वास्तविक भजन

महात्मा गांधी गीता का एक श्लोक हमेशा कहा करते थे - अहिंसा परमो धर्मः, जबकि पूर्ण श्लोक इस प्रकार है:

अहिंसा परमो धर्मः। 
धर्म हिंसा तदैव च ।।

अर्थात: अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है, किन्तु धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उससे भी श्रेष्ठ है।

वे श्रीराम का एक प्रसिद्ध भजन भी गाते थे:

रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम।।
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम। सब को सन्मति दे भगवान।।

आपको जानकर हैरानी होगी कि इसमें "अल्लाह" शब्द गांधीजी ने अपनी ओर से जोड़ा। इस भजन के असली जनक थे "पंडित लक्ष्मणाचार्य"। मूल भजन "श्री नमः रामनायनम" नामक हिन्दू ग्रंथ से लिया गया है जो इस प्रकार है:

रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम।।
सुंदर विग्रह मेघाश्याम। गंगा तुलसी शालीग्राम।।
भद्रगिरीश्वर सीताराम। भगत-जनप्रिय सीताराम।।
जानकीरमणा सीताराम। जय जय राघव सीताराम।।

सन १९४८ में एक फिल्म आयी थी - "श्री राम भक्त हनुमान"। उस फिल्म में भी इस भजन का मूल स्वरुप उपलब्ध है और उसमें कहीं भी "अल्लाह" शब्द नहीं आया है (आ भी नहीं सकता था)। इसे आप ऊपर के वीडियो में देख सकते हैं।

दुख की बात ये है कि बड़े-बड़े पंडित तथा वक्ता भी इस भजन को गलत गाते हैं, यहां तक कि मंदिरो में भी। हालांकि ये लेख किसी भी रूप में महात्मा गांधी के प्रति असम्मान प्रकट करने के लिए नही है पर किसी भी हिन्दू धर्मग्रंथ से इस प्रकार की छेड़छाड़ भी उचित नही है और हम सबको इसके प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है।

टिप्पणियाँ

  1. वाह
    अच्छी शोध, ज्ञान वर्धक
    पंडित लक्ष्मणाचार्य जी को नमन

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    1. सही बात है आज इस देश में गांधीजी के कारण हम हिंदू आज अपने त्योहार मनाने भी संकोच महसूस करते हैं क्यों यह जो शांति दूध है वह हम पर पत्थर फेंकते हैं यह गांधीजी के कारण ही है अलग देश बनने के बाद भी हिंदुओं के सीने पर गांधी ने एक बड़ा ही गलत निर्णय लिया था जो आज हम भोग रहे हैं

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    2. असली आज आपके माध्यम से मिला,बरना अभी भी वही गुनगुना लेते थे, आपको धन्यवाद👍👌💐
      बन्देमातरम👍👌💐

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  2. गांधी नेहरू ने है देश की लुटिया डुबोई है पर अब वक़्त बदल गया है फिर से एक बार हिंदुत्व का परचम लहराएगा जय श्री राम जय श्री हनुमान

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    1. बिल्कुल... अपने को सेक्युलर दिखाकर गांधी-नेहरू ने हिन्दु धर्म और उसके पवित्र ग्रंथों के श्लोकों को जिस प्रकार से तोड़-मरोड़कर पेश किया, वो कदापि क्षमा योग्य नहीं है।

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  3. यह बताने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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  4. बहुत अच्छी बात भाई । धन्यवाद । आपने फिल्म का लिंक भी दिया यह और भी प्रामाणिक बना देता है आपके लेख को । धन्यवाद ।।

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  5. महत्मगाधी जी अल्लाह क्यूँ जोड़ दिये समझ नही आ रहा है

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  6. Gandhi ji was like a traitor for hinduism. He almost ruined the hindu religion by his wrong policies

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  7. सबसे पहले सेकुलरिज्म के कीड़े ने गांधी को काटा था, जिसकी सजा ये देश धर्मशाला बन कर काट रहा है।

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  8. सबसे पहले सेकुलरिज्म के कीड़े ने गांधी को काटा था, जिसकी वजह से हमारा देश धर्मशाला बन गया। उसी कीड़े का दंश हम लोग आज भी भुगत रहे है।

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  9. भारतीय संस्कृति को कहीं बार तोड़कर भारती लोगों को गुमराह किया अभी तक वह वास्तविक संस्कृति को समझ नहीं पा रहे हैं

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  10. जय हो गांधी जी हमारे राष्ट्रपिता जी ����������

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  11. अब समय आ गया है कि इस भजन को वास्तविक रूप में गाना शुरू किया जाना चाहिए ताकि भजन लिखने वाले को भी संतोष हो कि उसके भजन मैं जो छेड़ छाड़ हुई थी उसमें सुधार हो गया है

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  12. बहुत बहुत धन्यवाद आभार व्यक्त करते हैं हम क्योंकि आपके द्वारा दी गई ये जानकारी हिंदुओं के लिऐ अति महत्वपूर्ण विषय की जानने की बात है। जय श्री राम

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  13. प्रतीत होता है भजन का यह गांधी संस्करण 'सर्वधर्मसम्भावी अर्थात सेकुलर है। अलबत्ता ये शब्द तो हिन्दुस्तान के संविधान के मूल प्राक्कथन /प्रस्तावना /स्वरूप में भी नहीं था परमसेकुलर इंदिरामाता ने इसे जोड़ा था।
    kabirakhadabazarmein.blogspot.com veerujan.blogspot.com

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    1. वीरेंद्र जी, इस सेक्युलर शब्द ने हमारे देश का जितना बेड़ा गर्क किया है उतना किसी और ने नही।

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  14. जय जय श्री राम🏹
    जय जय हनुमान🚩
    धर्म की विजय हो अधर्म का नाश हो प्राणियों में सदभावना हो विश्व का कल्याण हो

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  15. इसमे गल्ती हम हिंदुओं की है जो कभी साथ खड़े नहीं होते कभी जाति के नाम पर तो कभी अपने गमंद के नाम पर हम बनते रहते हैं या ये गांधी जैसे लोग हमारे देश के टुकड़े टुकड़े कर देते हैं

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  16. इसमे गल्ती हम हिंदुओं की है जो कभी साथ खड़े नहीं होते कभी जाति के नाम पर तो कभी अपने गमंद के नाम पर हम बनते रहते हैं या ये गांधी जैसे लोग हमारे देश के टुकड़े टुकड़े कर देते हैं

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  17. अद्भुत कविता है जय श्री राम

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  18. इसका प्रचार प्रसार अधिक से अधिक किया जाना चाहिए, ताकि लोग भ्रमित न हो।

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  19. सत्य वचन। इस छंद के मूल रूप को प्रत्येक हिन्दू प्रतिदिन स्वयं अपने घर में परिवार के सभी सदस्यों, विशेषकर बच्चों के साथ गाए।
    छंद के मूल रूप की जानकारी प्रकाशित करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

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