क्या रामायण में श्रवण कुमार का कोई वर्णन है?

क्या रामायण में श्रवण कुमार का कोई वर्णन है?
श्रवण कुमार की कथा से भला कौन परिचित नहीं है। आधुनिक काल में वो एक कर्तव्यनिष्ठ पुत्र के एक ऐसे उदाहरण हैं जिनके जैसा बनना हर संतान का एक स्वप्न होता है। हम ये भी जानते हैं कि श्रवण कुमार की कथा श्रीराम के पिता महाराज दशरथ से जुडी हुई है। किन्तु क्या वाल्मीकि रामायण में श्रवण कुमार नाम के किसी चरित्र का वर्णन दिया गया है? तो इसका उत्तर है नहीं। रामायण में किसी श्रवण कुमार का वर्णन हमें नहीं मिलता।

समुद्र लंघन के समय किस वानर ने कितनी दूर जाने की बात कही थी?

समुद्र लंघन के समय किस वानर ने कितनी दूर जाने की बात कही थी?
माता सीता की खोज में वानरों का समुद्र तट पर पहुंचना और उसके बाद हनुमान जी द्वारा समुद्र लांघने की बात तो हम सभी जानते ही है। पर एक बात जो अधिक लोग नहीं जानते वो ये कि समुद्र लांघने की चर्चा करते हुए कई वानरों ने अपनी शक्ति के अनुसार, कितनी दूर वे जा सकते हैं, इसका उल्लेख किया था। उस चर्चा में तो हनुमान जी ने कुछ कहा ही नहीं था क्यूंकि श्राप के कारण उन्हें अपने बल का ज्ञान नहीं था। बाद में जामवंत जी ने उन्हें प्रेरित किया।

कबंध

कबंध
कबंध रामायण कालीन एक बहुत ही शक्तिशाली राक्षस था। हालाँकि आम मान्यता है कि रामायण काल के सारे राक्षस रावण के अधीन थे किन्तु वाल्मीकि रामायण में कबंध के बारे में ऐसा कुछ नहीं लिखा गया है। तो आप उसे अपने विवेक के अनुसार रावण के अधीन अथवा एक स्वाधीन राक्षस मान सकते हैं। कबंध की कथा हमें वाल्मीकि रामायण के अरण्य कांड के ६९वें सर्ग में मिलता है, जो सर्ग ७३ में जाकर समाप्त होती है।

वेद, संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद क्या हैं?

वेदों के विषय में तो हम सभी जानते ही हैं। इसकी मूल संरचना के विषय में भी हम जानते हैं कि वेदों को मूलतः ४ भागों में विभक्त किया गया है - ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद। किन्तु इसके अतिरिक्त भी हमें कई और चीजों के बारे में सुनने को मिलता है जैसे संहिता, ब्राह्मण ग्रन्थ, आरण्यक ग्रन्थ, उपनिषद इत्यादि जिसे अधिकतर लोग ठीक से समझ नहीं पाते हैं। ये हिन्दू धर्म के सबसे जटिल चीजों में से एक हैं।

क्या श्रीराम ने कभी माता शबरी के जूठे बेर खाये थे?

क्या श्रीराम ने कभी शबरी के जूठे बेर खाये थे?
रामायण के सन्दर्भ में शबरी और उनके जूठे बेरों के विषय में तो सब जानते हैं। सदियों से हम ये सुनते आ रहे हैं कि जब श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण के साथ माता सीता को ढूंढते हुए माता शबरी के आश्रम में पहुंचे तो उन्हें देख कर शबरी, जो वर्षों से उनकी प्रतीक्षा कर रही थी बड़ी प्रसन्न हुई। फिर उन्होंने दोनों भाइयों को खाने के लिए बेर दिए। बेर अच्छे हैं या नहीं इसीलिए उन्होंने उसे पहले उसे चखा। बाद में उसी बेर को श्रीराम और लक्ष्मण ने प्रेम से खाया।

अयोमुखी - एक और राक्षसी जिसके नाक-कान लक्ष्मण ने काट डाले

अयोमुखी - एक और राक्षसी जिसके नाक-कान लक्ष्मण ने काट डाले
शूर्पणखा की कथा तो हम सभी जानते ही हैं। रामायण के अरण्य कांड के १८वें सर्ग में इसका वर्णन है कि जब शूर्पणखा श्रीराम के समझाने पर भी नहीं मानी और माता सीता पर आक्रमण किया, तब लक्ष्मण ने श्रीराम की आज्ञा से उसके नाक और कान काट डाले। किन्तु क्या आपको पता है कि रामायण में ही एक और ऐसी राक्षसी का वर्णन आता है जिसके नाक कान लक्ष्मण ने काट डाले थे?

विश्वकर्मा

कदाचित ही संसार में कोई ऐसा होगा जो देव विश्वकर्मा के नाम से परिचित नहीं होगा। यदि रचना की बात की जाये तो परमपिता ब्रह्मा के बाद यदि कोई नाम है तो वो विश्वकर्मा ही हैं। अन्य देवताओं से उलट, विश्वकर्मा जी का वर्णन लगभग हर पुराणों में हमें कहीं ना कहीं मिलता है। यहाँ तक कि वैदिक ग्रंथों, विशेषकर ऋग्वेद में उनका विस्तृत वर्णन किया गया है।