कब्र से उठकर बाबर भी तब हरिहर हरिहर बोलेगा।"
वानरराज वाली
वानरराज वाली रामायण के एक मुख्य पात्र हैं। आज हमें इंटरनेट पर यहाँ-वहाँ वाली के बारे में कई आश्चर्यजनक बातें पता चलती है किन्तु आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि उनमें से अधिकतर चीजों का मूल रामायण से कोई लेना देना नहीं है। पहली बात तो ये कि वानरराज वाली के बारे में कोई भी विस्तृत वर्णन हमें रामायण में मिलता ही नहीं। रामायण में उनका बड़ा संक्षिप्त वर्णन दिया गया है।
मूल व्यास महाभारत की संरचना
अधिकतर लोगों को ये पता है कि महाभारत में कुल १८ पर्व और १००००० श्लोक हैं। जनमानस में भी यही जानकारी उपलब्ध है किन्तु बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि वास्तव में महर्षि वेदव्यास ने बहुत ही वृहद् महाभारत की रचना की थी। इतना वृहद् जिसकी हम लोग कदाचित कल्पना भी नहीं कर सकते। इसका वर्णन हमें महाभारत के प्रथम और द्वितीय अध्याय में मिलता है।
जब हनुमान जी ने अपने सामर्थ्य का वर्णन किया
ये तो हम सभी जानते हैं कि हनुमान जी को अपनी शक्ति को भूल जाने के श्राप था। इसी कारण जब वानर सेना समुद्र के किनारे खड़ी हो उस पर जाने की योजना बना रही थी तो विभिन्न वानरों ने अपनी-अपनी शक्ति के अनुसार समुद्र पार करने की बात की। उनमें से किसने कितनी दूर जाने की बात की, इसके बारे में आप यहाँ पढ़ सकते हैं।
जटायु का पराक्रम
अरुण के पुत्र और सम्पाती के छोटे भाई जटायु के विषय में तो हम सभी जानते ही हैं। हम ये भी जानते हैं कि किस प्रकार जटायु ने रावण से माता सीता की रक्षा करने का प्रयत्न किया था। अधिकतर लोग बस यही जानते हैं कि माता सीता की रक्षा की प्रक्रिया में रावण द्वारा जटायु का वध हो गया था किन्तु बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि उस युद्ध में जटायु ने अद्वितीय पराक्रम दिखाया और रावण जैसे महापराक्रमी को भी पृथ्वी पर उतरने के लिए विवश कर दिया था।
रामायण के अनुसार श्रीराम का वंश
कुछ समय पहले हमने श्रीराम के वंश के बारे में एक वीडियो प्रकाशित किया था। किन्तु यदि आप वाल्मीकि रामायण पढ़ेंगे तो आपको उनके वंश का एक अलग वर्णन मिलता है। ये थोड़ा अजीब इसीलिए है क्यूंकि कुछ चंद्रवंशी राजाओं का वर्णन भी इसमें किया गया है जबकि श्रीराम सूर्यवंशी थे। साथ ही महाभारत में उन चंद्रवंशी राजाओं का क्रम ब्रह्माजी से नजदीक है जबकि रामायण में ये बहुत बाद का बताया गया है।
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