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भानुमति

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महाभारत में स्त्री चरित्रों को बहुत प्रमुखता से दिखाया गया है। चाहे वो द्रौपदी हो, कुंती हो अथवा गांधारी, महाभारत स्त्री सशक्तिकरण का एक जीवंत उदाहरण है। हालाँकि कुछ स्त्री चरित्र ऐसे भी हैं जो गौण हैं किन्तु उससे उनका महत्त्व कम नहीं होता। ऐसा ही एक चरित्र है भानुमति का।

गणेश जी ने भी दिया था गीता ज्ञान - श्री गणेश गीता

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हम सभी महाभारत में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए अद्वितीय ज्ञान, अर्थात श्रीमद्भगवतगीता के विषय में तो जानते ही हैं। महाभारत के भीष्म पर्व के आरम्भ में ज्ञान का ये अथाह सागर वर्णित है जिसमें १८ अध्याय एवं कुल ७०० श्लोक है। किन्तु क्या आप ये जानते हैं कि श्रीगणेश ने भी गीता का ज्ञान दिया था जो गणेश गीता के नाम से प्रसिद्ध है।

ऋष्यमूक पर्वत

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हम सभी ने रामायण में ऋष्यमूक पर्वत के विषय में सुना ही है। ये हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण पर्वतों में से एक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि ऋष्यमूक पर्वत आज के कर्नाटक राज्य के हम्पी में स्थित था। उसी स्थान पर वानर साम्राज्य किष्किंधा हुआ करता था, ऐसी मान्यता है।

वर्ष में दो बार नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

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आपमें से कई लोगों को ये पता होगा कि नवरात्रि वर्ष में दो बार मनाई जाती है। हालाँकि बहुत ही कम लोगों को ये पता होगा कि वास्तव में वर्ष में चार बार नवरात्रि का पर्व आता है। अर्थात हर तिमाही में एक बार नवरात्रि मनाई जाती है। आइये पहले इन चारों नवरात्रियों के नाम और समय को जान लेते हैं:

कुबेर से भी कर लेने वाले श्रीराम के परदादा - महाराज रघु

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महाराज खटांग के पुत्र थे महाराज दिलीप। एक बार ये अपने गुरु महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में गए जहाँ इन्होने उनकी गाय कामधेनु पुत्री नंदिनी की रक्षा का प्रण कर लिया। वे नंदिनी को लेकर वन गए जहाँ पर नंदिनी ने उनकी परीक्षा लेने के लिए एक माया सिंह उत्पन्न किया। उस सिंह ने नंदिनी पर आक्रमण किया जिसकी रक्षा के लिए महाराज दिलीप ने उस सिंह पर अनेक बाण चलाये किन्तु सारे व्यर्थ हुए।

जब ब्रह्मदेव और देवर्षि नारद ने एक दूसरे को श्राप दे दिया

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ये तो हम सभी जानते हैं कि देवर्षि नारद परमपिता ब्रह्मा के ही मानस पुत्र हैं। हम ये भी जानते हैं कि देवर्षि नारद भगवान श्रीहरि के अनन्य भक्त हैं। इनके जन्म के विषय में भी आपने कई कथाएं सुनी होगी। किन्तु पुराणों में एक कथा ऐसी आती है कि इन्होने अपने पिता भगवान ब्रह्मा को और ब्रह्मा जी ने इन्हे परस्पर श्राप दे दिया था।

कृपाचार्य

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महर्षि गौतम और उनकी पत्नी अहिल्या के विषय में तो हम सभी जानते ही हैं। इनका वर्णन मुख्य रूप से रामायण में किया गया है। रामायण के साथ साथ महाभारत में भी इनका वर्णन आता है। हालाँकि इन दोनों ग्रंथों में इनके अलग-अलग पुत्रों का वर्णन है। रामायण के अनुसार महर्षि गौतम के पुत्र ऋषि शतानन्द थे जो महाराज जनक के कुलगुरु थे। जब महर्षि विश्वामित्र श्रीराम और लक्ष्मण के साथ जनकपुरी पहुंचे तो वहां शतानन्द जी का विस्तृत वर्णन है।