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मंगलवार, फ़रवरी 08, 2011
एकश्लोकी रामायण
।। आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनं
वैदेही हरणं, जटायु मरणं, सुग्रीव संभाषणं
बालि निर्दलं, समुन्द्र तरणं, लंकापुरी दाहनं
पश्चाद्रावण-कुम्भकरण हननं, एतद्धि रामायणं ।।
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