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श्रीकृष्ण पर आक्रमण के समय किन किन राजाओं ने जरासंध का साथ दिया?

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हम सभी श्रीकृष्ण और जरासंध की प्रतिद्वंदिता के विषय में जानते हैं। श्रीकृष्ण द्वारा अपने जमाता कंस के वध के पश्चात उसने १७ बार मथुरा पर आक्रमण किया किन्तु उन सभी युद्ध में उसे मुँह की खानी पड़ी। श्रीकृष्ण और बलराम हर बार उसकी पूरी सेना का नाश कर उसे जीवित छोड़ देते थे। वास्तव में वे दोनों चाहते थे कि जरासंध बार बार संसार के सभी पापियों को लेकर आये ताकि वे उनका एक बार में ही संहार कर सकें।

एकलव्य - क्यों माँगा गुरु द्रोण ने अंगूठा? क्यों किया श्रीकृष्ण ने वध?

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एकलव्य महाभारत का एक गौण पात्र है। यदि मूल महाभारत की बात की जाये तो एकलव्य के बारे में बहुत अधिक नहीं लिखा गया है। आज जो भी जानकारियां हमें एकलव्य के विषय में मिलती हैं वो अधिकतर लोक कथाओं के रूप में ही है लेकिन उन कथाओं और मान्यताओं में बहुत अधिक दुष्प्रचार किया गया है। तो आइये एकलव्य के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं और इन मिथ्या जानकारियों को भी समझते हैं।

"सेंगोल" वास्तव में क्या है?

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आज कल सेंगोल की बहुत चर्चा हो रही है। इसके सम्बन्ध में कई भ्रांतियाँ भी फ़ैल रही है। अधिकतर लोग सेंगोल का ऐतिहासिक महत्त्व बता रहे हैं किन्तु आपको जानकर अच्छा लगेगा कि सेंगोल का पौराणिक महत्त्व भी बहुत अधिक है। सहस्त्रों वर्षों से सेंगोल का वर्णन हमारे पौराणिक ग्रंथों में है, विशेषकर इसका वर्णन महाभारत में किया गया है, पर किसी और नाम से। इसके विषय में लगभग हर व्यक्ति जनता होगा पर इस शब्द "सेंगोल" से बहुत कम लोग परिचित हैं। तो आइये हम सेंगोल के विषय में कुछ जानते हैं। चलिए प्रथम इसके ऐतिहासिक महत्त्व के विषय में जानते हैं। सेंगोल शब्द की उत्पत्ति तमिल शब्द "सेम्मई" से हुई है जिसका अर्थ होता है नीतिपरायणता। इस शब्द का संस्कृत अर्थ "संकु" , अर्थात शंख से जुड़ा हुआ है जो पवित्रता का प्रतीक है। सेंगोल वास्तव में कुछ और नहीं बल्कि वही राजदंड होता था जिसका वर्णन हमारे पुराणों और ग्रंथों में कई बार किया गया है। हालाँकि सेंगोल शब्द तमिल भाषा से प्रेरित है और मूल रूप से दक्षिण भारत के चोल साम्राज्य से जुड़ा हुआ है। सेंगोल वास्तव में एक दंड हुआ करता था जिसे सत्ता के ह

जब हनुमान जी ने बलराम जी, गरुड़, सुदर्शन एवं देवी सत्यभामा का अभिमान भंग किया

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महाबली हनुमान अष्टचिरंजीवियों में से एक हैं। उन्हें कल्प के अंत तक जीवित रहने का वरदान प्राप्त है। यही कारण है कि रामायण के साथ साथ हनुमान जी का वर्णन महाभारत में भी आता है। महाभारत में उनके द्वारा भीम के अभिमान को भंग करने और अर्जुन के रथ की रक्षा करने के विषय में तो हम सभी जानते ही हैं किन्तु हरिवंश पुराण में एक वर्णन ऐसा भी आता है जब श्रीकृष्ण ने बजरंगबली के द्वारा बलराम जी, सुदर्शन चक्र , गरुड़ एवं देवी सत्यभामा का अभिमान भंग करवाया था।