आज कल सेंगोल की बहुत चर्चा हो रही है। इसके सम्बन्ध में कई भ्रांतियाँ भी फ़ैल रही है। अधिकतर लोग सेंगोल का ऐतिहासिक महत्त्व बता रहे हैं किन्तु आपको जानकर अच्छा लगेगा कि सेंगोल का पौराणिक महत्त्व भी बहुत अधिक है। सहस्त्रों वर्षों से सेंगोल का वर्णन हमारे पौराणिक ग्रंथों में है, विशेषकर इसका वर्णन महाभारत में किया गया है, पर किसी और नाम से। इसके विषय में लगभग हर व्यक्ति जनता होगा पर इस शब्द "सेंगोल" से बहुत कम लोग परिचित हैं। तो आइये हम सेंगोल के विषय में कुछ जानते हैं। चलिए प्रथम इसके ऐतिहासिक महत्त्व के विषय में जानते हैं। सेंगोल शब्द की उत्पत्ति तमिल शब्द "सेम्मई" से हुई है जिसका अर्थ होता है नीतिपरायणता। इस शब्द का संस्कृत अर्थ "संकु" , अर्थात शंख से जुड़ा हुआ है जो पवित्रता का प्रतीक है। सेंगोल वास्तव में कुछ और नहीं बल्कि वही राजदंड होता था जिसका वर्णन हमारे पुराणों और ग्रंथों में कई बार किया गया है। हालाँकि सेंगोल शब्द तमिल भाषा से प्रेरित है और मूल रूप से दक्षिण भारत के चोल साम्राज्य से जुड़ा हुआ है। सेंगोल वास्तव में एक दंड हुआ करता था जिसे सत्ता के ह