क्या महर्षि वाल्मीकि शूद्र वर्ण से थे?

आज समाज जात-पात में बंटा हुआ है जिसमें कोई दो राय नहीं है। हालाँकि यदि हिन्दू धर्म को आधार माना जाये तो इसमें जाति नाम की कोई चीज ही नहीं होती थी। हिन्दू धर्म में सदैव वर्ण व्यवस्था का विधान है, जाति व्यवस्था का नहीं। समय के साथ-साथ ये वर्ण व्यवस्था कब जाति व्यवस्था में बदल गयी, किसी को पता नहीं। अन्यथा प्राचीन वर्ण व्यवस्था में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्रों को समान अधिकार प्राप्त हैं। वर्ण और जाति के भेद को बताने के लिए हमने एक लेख पहले ही धर्म संसार पर प्रकाशित किया है जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं।