नवदुर्गा

आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें। वैसे तो धर्म संसार पर माता दुर्गा, अष्टमातृका एवं दश महाविद्या पर लेख पहले से लिखा जा चुका है किन्तु इस नवरात्रि सोचा कि एक लेख माता के उन ९ रूपों पर भी लिखा जाये जिस कारण नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस लेख में सभी ९ देवियों का संक्षिप्त विवरण विवरण दिया जायेगा। उन सभी पर विस्तृत लेख बाद में प्रकाशित किया जाएगा।

भक्तराज ध्रुव

भक्तराज ध्रुव
इस संसार में भगवान श्रीहरि के जितने अनन्य भक्त हुए हैं, ध्रुव उनमें से अग्रगणी हैं। विष्णु पुराण एवं भागवत पुराण में इनके विषय में विस्तार से लिखा गया है। ब्रह्मा के पुत्र स्वयंभू मनु हुए जिन्होंने माता शतरूपा से विवाह किया। दोनों की ५ संतानें हुई। २ पुत्र - प्रियव्रत एवं उत्तानपाद और तीन पुत्रियां - आकूति, देवहुति एवं प्रसूति। महाराज मनु ने अपना राज्य अपने दोनों पुत्रों में बाँट दिया। उत्तानपाद ने दो कन्याओं से विवाह किया - सुनीति एवं सुरुचि। बड़ी रानी सुनीति के गर्भ से ही ध्रुव का जन्म हुआ। छोटी रानी सुरुचि को उत्तम नामक एक पुत्र प्राप्त हुआ।

भगवान विष्णु की १६ कलाएं

भगवान विष्णु की १६ कलाएं
आप सब ने प्रायः भगवान विष्णु की १६ कलाओं के विषय में सुना होगा। रामायण और महाभारत में ये वर्णित है कि भगवान श्रीराम भगवान विष्णु की १२ कलाओं के साथ जन्में थे और श्रीकृष्ण १६ कलाओं के साथ। वैसे तो श्रीहरि अनंत हैं किन्तु मनुष्य रूप में उनकी कुल १६ कलाएं मानी गयी हैं।

वैदिक घडी

वैदिक घडी
कुछ दिनों पहले मुझे इस प्राचीन घडी का चित्र प्राप्त हुआ जिसमें १ से १२ अंकों के स्थान पर विभिन्न देवताओं के नाम लिखे थे। वो एक अबूझ पहेली की भांति थी किन्तु अचानक गौर करने पर मुझे इसका रहस्य समझ में आ गया। मैं इसपर पहले ही एक लेख लिखना चाहता था किन्तु उससे पहले इसी प्रश्न को मैंने अपने फेसबुक पेज पर भी लोगों से पूछा और हमारे एक पाठक श्री तरुण विश्वकर्मा ने इसका सही उत्तर भी बताया। तो अपने इस लेख में मैं तरुण जी का भी योगदान मानते हुए इसका शुभारम्भ करते हैं।