भीष्मक

महाराज भीष्मक विदर्भ के सम्राट थे। ये महाराज जरासंध और शिशुपाल के मित्र थे और मगध सदैव इनके राज्य की सुरक्षा के लिए तत्पर रहता था। इनके रुक्मी , रुक्मरथ , रुक्मबाहु , रुक्मकेश एवं रुक्ममाली नामक एक पुत्र और रुक्मिणी नामक एक पुत्री थी। उनकी पुत्री रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण से हुआ। इस प्रकार भीष्मक यदुवंश के भी सम्बन्धी बन गए। हालाँकि रुक्मिणी हरण के समय श्रीकृष्ण से पराजित होने के बाद रुक्मी ने विदर्भ छोड़ दिया और भोजकट में अपना राज्य बसाया। इस विषय में आप यहाँ पर पढ़ सकते हैं।