महाराज दुष्यंत और शकुंतला की कथा तो हम सभी जानते ही हैं। हालाँकि यदि मैं कहूं कि इनकी वास्तविक कथा आज बहुत ही कम लोग जानते होंगे, तो आपको बड़ा आश्चर्य होगा। वो इसीलिए क्यूंकि ये हिन्दू धर्म की सबसे प्रसिद्ध कथाओं में से एक है। लेकिन मेरा विश्वास कीजिये कि आपमें से बहुत ही कम लोग होंगे जिन्हे वास्तव में इन दोनों की सही कथा के विषय में पता होगा। तो सबसे पहले जो कथा जनमानस में प्रसिद्ध है उसे संक्षेप में जान लेते हैं।
महाभारत में वर्णित २४ महान राजा
महाभारत के आदिपर्व के प्रथम अध्याय के अनुक्रमणिकपर्व में हमें महाराज धृतराष्ट्र और संजय का एक प्रसंग मिलता है जिसमें संजय ने इतिहास के २४ महान राजाओं का वर्णन किया है। ये प्रसंग तब का है जब धृतराष्ट्र अपने पुत्रों के वध से अत्यंत व्याकुल थे। उस समय संजय ने उन्हें महर्षि व्यास और देवर्षि नारद के मुख से कहे गए उन २४ राजाओं के विषय में बताया है जो इतिहास में सबसे उत्कृष्ट राजाओं के रूप में विख्यात हुए। आज हम उन्ही २४ राजाओं के विषय में संक्षेप में जानेगे।
लंकिनी
रामायण के सुन्दर कांड में हनुमान जी द्वारा लंका में प्रवेश करने का प्रसंग है। इसी प्रसंग में लंका पुरी का विस्तृत वर्णन दिया गया है। रामायण के अनुसार लंका पुरी वास्तव में एक राक्षसी ही थी जो स्वयं और लंकेश की रक्षा करती थी। आम बोल-चाल की भाषा में उसे लंकिनी के नाम से जाना जाता है। लंकिनी का वर्णन हमें वाल्मीकि रामायण के सुन्दर कांड के तीसरे सर्ग में मिलता है।
संभल के हरिहर मंदिर का पूरा इतिहास
"पांच सदी से जमा रक्त जब शोले बनकर खौलेगा।
कब्र से उठकर बाबर भी तब हरिहर हरिहर बोलेगा।"
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