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भगवान शिव को अपने ही पुत्र श्रीगणेश का मस्तक क्यों काटना पड़ा?

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महादेव द्वारा श्रीगणेश का मस्तक काटने के विषय में तो हम सभी जानते हैं किन्तु इस विषय में एक प्रश्न आता है कि आखिर उन्हें ऐसा करना क्यों पड़ा? महादेव तो त्रिकालदर्शी हैं फिर उन्हें कैसे नहीं पता था कि श्रीगणेश उनके ही पुत्र हैं? वास्तव में महादेव ने श्रीगणेश का मस्तक एक श्राप के कारण काटा था। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार राक्षसराज सुकेश के पुत्र माली और सुमाली ने महादेव से वरदान प्राप्त किया कि किसी भी विपत्ति में एक बार उन्हें उनकी सहायता के लिए आना होगा। महादेव ने उन्हें ये वरदान दे दिया। उस वरदान से उन्मत्त होकर माली और सुमाली ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया। उन्हें रोकने के लिए स्वयं भगवान सूर्यनारायण युद्धक्षेत्र में आये और उनके बीच घोर युद्ध हुआ। माली और सुमाली वीर अवश्य थे किन्तु सूर्यदेव के तेज का सामना नहीं कर पाए। सूर्यदेव ने घोर युद्ध कर उन्हें परास्त किया और फिर वो दोनों भाई सूर्यदेव के तेज से जलने लगे। अपना अंत निश्चित जान कर उन दोनों ने महादेव का समरण किया। वरदान के कारण महादेव स्वयं वहां आये और सूर्यदेव को उनपर प्रहार करने से रोका। किन्तु दोनों असुरों को अकेले परास्त करने के म

शनि देव को तेल क्यों चढ़ाया जाता है?

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हमारे पौराणिक ग्रंथों में शनिदेव को तेल चढाने के बारे में कहा गया है। शताब्दियों से लोग हर शनिवार को शनिदेव पर तेल चढ़ाते आ रहे हैं। मान्यता है कि ऐसा करने पर शनि की साढ़ेसाती और ढैया से मुक्ति मिलती है। किन्तु शनिदेव को तेल चढाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी है जो रामायण से सम्बंधित है।

गोत्र क्या होता है? समान गोत्र में विवाह क्यों नहीं होता?

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गोत्र की अवधारणा हिन्दू धर्म में सदा से है। ये हिन्दू धर्म के सबसे जटिल विषयों में से एक है। गोत्र को अति प्राचीन माना गया है। यहाँ तक कि ऐसा कहा गया है कि गोत्र पहले आये और फिर वर्ण व्यवस्था प्रारम्भ हुई। अर्थात गोत्र की अवधारणा वर्ण व्यवस्था से भी प्राचीन है।

एक ऐसा गाँव जहाँ हनुमान जी की पूजा करना मना है

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महाबली हनुमान हिन्दू धर्म के सर्वाधिक पूज्य देवताओं में से एक हैं। शायद ही इस देश का एक भी ऐसा कोना हो जहाँ हनुमान जी का मंदिर ना हो या उनकी पूजा ना होती हो। लेकिन आज हम आपको भारत के एक ऐसे ही गांव के बारे में बताने वाले हैं जहाँ हनुमान जी की पूजा वर्जित है। ऐसा इसलिए क्यूंकि वहां के लोग सदैव हनुमान जी से नाराज रहते हैं।