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योगमाया कौन है?

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"मैं सभी के लिये प्रकट नही हूँ क्योंकि में अपनी शक्ति योगमाया द्वारा आच्छादित रहता हूँ।" श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय ७, श्लोक २५ जब भी हम भगवान श्रीकृष्ण का जीवन वृतांत पढ़ते हैं तो हमें एक देवी के बारे में बार बार पता चलता है। दुःख की बात ये है कि उनके विषय में हमें बहुत अधिक जानकारी नहीं मिलती। उनका नाम है योगमाया। इनके बारे में सबसे अधिक पूछा जाने वाला प्रश्न है कि आखिर कौन है ये योगमाया? तो आज इस लेख में हम उन्ही के विषय में जानेंगे।

महर्षि उत्तंक

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पिछले लेख में हमने महर्षि आयोदधौम्य के तीन शिष्यों - आरुणि, उपमन्यु और वेद के विषय में पढ़ा था। इस लेख में हम महर्षि उत्तंक के विषय में जानेंगे जो महर्षि वेद के ही शिष्य थे। महर्षि उत्तंक की कथा हमें महाभारत के दो पर्वों में मिलती है - आदि पर्व और आश्वमेधिक पर्व। हालाँकि दोनों कथाओं का सार एक ही हैं किन्तु दोनों में महर्षि उत्तंक के गुरु अलग-अलग बताये गए हैं। आदि पर्व के अनुसार उनके गुरु थे महर्षि वेद जबकि आश्वमेधिक पर्व के अनुसार महर्षि उत्तंक के गुरु महर्षि गौतम बताये गए हैं।

कैसी थी द्वारिका नगरी और क्यों डूब गयी समुद्र में? - द्वारिका नगरी का पूरा इतिहास

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चार धाम और सप्त पुरियों में से एक द्वारिका। जिस प्रकार अयोध्या को श्रीराम ने अपने चरणों से पावन किया ठीक उसी प्रकार द्वारिका श्रीकृष्ण की नगरी होने के कारण धन्य हुई। हालाँकि अयोध्या से उलट द्वारिका नगरी बहुत ही रहस्य्मयी मानी जाती है। कहा जाता है कि हर कल्प में जब भी कृष्णावतार होता है, समुद्र द्वारिका नगरी की भूमि प्रदान करने के लिए पीछे हटता है और उनके निर्वाण के साथ ही समुद्र वो भूमि वापस ले लेता है। यही कारण है कि आज भी द्वारिका जलमग्न है। आज इस लेख में हम श्रीकृष्ण की नगरी द्वारिका के विषय में जानेंगे।

गीता कुल कितनी है?

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जब भी श्रीमदभगवद्गीता की बात आती है तो हम सभी को भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए दिव्य ज्ञान का ही ध्यान आता है। निःसंदेह भगवद्गीता सर्वाधिक प्रसिद्ध है किन्तु आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पुराणों में और भी कई गूढ़ ज्ञान का वर्णन है जिन्हे गीता कहा गया है। वैसे तो लगभग ३०० गीताओं का वर्णन मिलता है किन्तु इस लेख में मुख्य गीताओं के विषय में बताया जा रहा है:

गणेश जी ने भी दिया था गीता ज्ञान - श्री गणेश गीता

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हम सभी महाभारत में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए अद्वितीय ज्ञान, अर्थात श्रीमद्भगवतगीता के विषय में तो जानते ही हैं। महाभारत के भीष्म पर्व के आरम्भ में ज्ञान का ये अथाह सागर वर्णित है जिसमें १८ अध्याय एवं कुल ७०० श्लोक है। किन्तु क्या आप ये जानते हैं कि श्रीगणेश ने भी गीता का ज्ञान दिया था जो गणेश गीता के नाम से प्रसिद्ध है।

श्रीकृष्ण पर आक्रमण के समय किन किन राजाओं ने जरासंध का साथ दिया?

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हम सभी श्रीकृष्ण और जरासंध की प्रतिद्वंदिता के विषय में जानते हैं। श्रीकृष्ण द्वारा अपने जमाता कंस के वध के पश्चात उसने १७ बार मथुरा पर आक्रमण किया किन्तु उन सभी युद्ध में उसे मुँह की खानी पड़ी। श्रीकृष्ण और बलराम हर बार उसकी पूरी सेना का नाश कर उसे जीवित छोड़ देते थे। वास्तव में वे दोनों चाहते थे कि जरासंध बार बार संसार के सभी पापियों को लेकर आये ताकि वे उनका एक बार में ही संहार कर सकें।

एकलव्य - क्यों माँगा गुरु द्रोण ने अंगूठा? क्यों किया श्रीकृष्ण ने वध?

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एकलव्य महाभारत का एक गौण पात्र है। यदि मूल महाभारत की बात की जाये तो एकलव्य के बारे में बहुत अधिक नहीं लिखा गया है। आज जो भी जानकारियां हमें एकलव्य के विषय में मिलती हैं वो अधिकतर लोक कथाओं के रूप में ही है लेकिन उन कथाओं और मान्यताओं में बहुत अधिक दुष्प्रचार किया गया है। तो आइये एकलव्य के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं और इन मिथ्या जानकारियों को भी समझते हैं।

जब हनुमान जी ने बलराम जी, गरुड़, सुदर्शन एवं देवी सत्यभामा का अभिमान भंग किया

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महाबली हनुमान अष्टचिरंजीवियों में से एक हैं। उन्हें कल्प के अंत तक जीवित रहने का वरदान प्राप्त है। यही कारण है कि रामायण के साथ साथ हनुमान जी का वर्णन महाभारत में भी आता है। महाभारत में उनके द्वारा भीम के अभिमान को भंग करने और अर्जुन के रथ की रक्षा करने के विषय में तो हम सभी जानते ही हैं किन्तु हरिवंश पुराण में एक वर्णन ऐसा भी आता है जब श्रीकृष्ण ने बजरंगबली के द्वारा बलराम जी, सुदर्शन चक्र , गरुड़ एवं देवी सत्यभामा का अभिमान भंग करवाया था।

उलूक

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उलूक महाभारत का एक कम प्रसिद्ध पात्र है। वो गांधार राज शकुनि और रानी आर्शी का ज्येठ पुत्र था। शकुनि के तीनों पुत्रों में केवल वही था जिसने महाभारत के युद्ध में भाग लिया था। यही नहीं, वो महाभारत के उन गिने चुने योद्धाओं में था जो युद्ध के १८वें दिन तक जीवित रहे थे। महाभारत कथा में उलूक का वर्णन युद्ध से ठीक पहले आता है।

क्यों अर्जुन युधिष्ठिर के वध को उद्धत हुए?

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महाभारत में पांचों पांडवों का आपस में प्रेम एक उदाहरण है। चारो छोटे भाई अपने बड़े भाई युधिष्ठिर का अपने पिता की भांति आदर करते थे। किन्तु महाभारत में एक ऐसी कथा भी आती है जब अर्जुन युधिष्ठिर का वध करने को उद्धत हो गए थे। आखिर ऐसा क्या कारण था कि अर्जुन को ऐसा करना पड़ा?

जब अर्जुन को श्रीकृष्ण से युद्ध करना पड़ा

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अर्जुन श्रीकृष्ण के कितने बड़े भक्त थे ये बताने की आवश्यकता नहीं। किन्तु भागवत में हमें एक ऐसी कथा का वर्णन मिलता है जब अर्जुन को श्रीकृष्ण से युद्ध करना पड़ा था। ये कथा महाभारत युद्ध के बाद की है इसीलिए मूल महाभारत में इसका कोई उल्लेख नहीं है, किन्तु लोक कथाओं में ये बहुत प्रचलित है।

पांडवों का पुनर्जन्म

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महापुराणों के अतिरिक्त अन्य पुराणों की प्रमाणिकता पर यदा-कदा प्रश्न उठते ही रहे हैं। किन्तु उनमें भी जो पुराण सबसे अधिक शंशय का केंद्र रहा है वो है भविष्य पुराण। ऐसी मान्यता है कि समय के साथ इसी पुराण में सबसे अधिक मिलावट की गयी है। यही कारण है कि इस पुराण में लिखा हुआ कितना सत्य है और कितना असत्य, ये ठीक-ठीक किसी को नहीं पता है।

भगवान विष्णु के 24 अवतार

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जब भी ईश्वर के अवतार की बात आती है तो भगवान विष्णु के अवतार सबसे प्रसिद्ध हैं। श्रीहरि के दशावतार तो खैर जगत विख्यात हैं किन्तु उनके कुल २४ अवतार माने जाते हैं। इन २४ अवतारों में से जो दशावतार हैं वे भगवान विष्णु के साक्षात् रूप ही हैं और अन्य १४ अवतार उनके लीलावतार माने जाते हैं। श्रीहरि के दशावतार का वर्णन विष्णु पुराण में विशेष रूप से दिया गया है। उनके २४ अवतारों का वर्णन श्रीमदभागवत और सुख सागर में दिया है। इस सूची में सभी दशावतार को रेखांकित किया गया है।

अक्रूर

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महाराज ययाति के ज्येष्ठ पुत्र यदु से यदुकुल चला। इसी से आगे चलकर हैहय वंश पृथक हुआ जिसमें महान सम्राट कर्त्यवीर्य अर्जुन ने जन्म लिया। दूसरी शाखा में दो प्रमुख वंश चले - वृष्णि एवं अंधक । इन्ही में से वृष्णि वंश में श्रीकृष्ण ने जन्म लिया और इसी वंश में उनसे एक पीढ़ी पहले यादव वीर अक्रूर का जन्म हुआ। वे श्रीकृष्ण के पिता वासुदेव के चचेरे भाई थे। यदुवंश के विषय में आप विस्तार से यहाँ पढ़ सकते हैं।

जाम्बवन्त कौन थे और वो कितने शक्तिशाली थे?

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जामवंत रामायण के सबसे प्रमुख पात्रों में से एक हैं। हालाँकि उनकी गिनती सप्त-चिरंजीवियों में नहीं की जाती, किन्तु वे भी एक चिरंजीवी हीं थे जिन्होंने द्वापरयुग में निर्वाण लिया। उनकी आयु अन्य सातों चिरंजीवियों से भी अधिक मानी जाती है। उनके जन्म के विषय में भी अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं।

श्रीकृष्ण का नाम "दामोदर" कैसे पड़ा?

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श्रीकृष्ण की लीलाओं की भांति उनके नाम भी अनंत हैं। उनमें से ही एक नाम "दामोदर" है जो उन्हें बचपन में दिखाई गयी एक लीला के कारण मिला था। ये नाम इसीलिए भी विशिष्ट है क्यूंकि इस बार उन्होंने अपनी माया का प्रयोग असुर पर नहीं अपितु अपनी माता पर ही किया था।

जय और विजय - जिन्होंने श्रीहरि के भक्त बनने के स्थान पर उनका शत्रु बनना पसंद किया

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वैसे तो भगवान विष्णु के कई पार्षद हैं किन्तु जय-विजय उनमें से प्रमुख हैं। ये दोनों वैकुण्ठ के मुख्य द्वार के रक्षक हैं और श्रीहरि को सर्वाधिक प्रिय हैं। ये दोनों उप-देवता की श्रेणी में आते हैं और इन्हे गुण एवं रूप में श्रीहरि के समान ही बताया गया है। श्रीहरि की भांति ही ये भी अपने तीन हाथों में शंख, चक्र एवं गदा धारण करते हैं, पर इनके चौथे हाथ में तलवार होती है, वहीँ श्रीहरि अपने चौथे हाथ में कमल धारण करते हैं।

क्या राधा का वर्णन महाभारत में है?

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श्रीकृष्ण और श्री राधा दोनों ही भारत की संस्कृति में इस तरह रचे बसे हैं कि इन दोनों को अलग-अलग करके देखना एक प्रकार से असंभव है। किन्तु बहुत लोगों को ये जान कर हैरानी होगी कि राधा का वर्णन मूल व्यास महाभारत में है ही नहीं।

श्रीराम १२ एवं श्रीकृष्ण १६ कलाओं के साथ क्यों अवतरित हुए?

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ये तो हम सभी जानते हैं कि किसी भी मनुष्य अथवा देवता की कुल १६ कलाएं होती हैं। १६ कलाओं पर एक लेख हमने पहले ही प्रकाशित कर दिया है जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं। भगवान विष्णु भी इन सभी १६ कलाओं के धारक हैं। इसके अतिरिक्त चन्द्रमा को भी महादेव की कृपा से १६ कलाएं प्राप्त हैं और माता दुर्गा के पास भी कुल १६ कलाएं हैं। हालाँकि चंद्र एवं माँ दुर्गा की कलाएं श्रीहरि की कलाओं से भिन्न हैं।

सुदर्शन चक्र

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पुराणों में विभिन्न देवताओं के अनेक अस्त्र-शस्त्र का वर्णन दिया गया है। किन्तु जब भी बात दिव्यास्त्रों की आती है तो उसमें सुदर्शन चक्र का वर्णन प्रमुखता से किया जाता है। ये मूल रूप से भगवान विष्णु का अस्त्र है। उनके अतिरिक्त दशावतारों में भी कइयों ने इसे धारण किया, किन्तु उनमें से भी विशेष रूप से ये श्रीकृष्ण के साथ जुड़ा है।