वानरराज वाली

वानरराज वाली
वानरराज वाली रामायण के एक मुख्य पात्र हैं। आज हमें इंटरनेट पर यहाँ-वहाँ वाली के बारे में कई आश्चर्यजनक बातें पता चलती है किन्तु आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि उनमें से अधिकतर चीजों का मूल रामायण से कोई लेना देना नहीं है। पहली बात तो ये कि वानरराज वाली के बारे में कोई भी विस्तृत वर्णन हमें रामायण में मिलता ही नहीं। रामायण में उनका बड़ा संक्षिप्त वर्णन दिया गया है।

मूल व्यास महाभारत की संरचना

मूल व्यास महाभारत की संरचना
अधिकतर लोगों को ये पता है कि महाभारत में कुल १८ पर्व और १००००० श्लोक हैं। जनमानस में भी यही जानकारी उपलब्ध है किन्तु बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि वास्तव में महर्षि वेदव्यास ने बहुत ही वृहद् महाभारत की रचना की थी। इतना वृहद् जिसकी हम लोग कदाचित कल्पना भी नहीं कर सकते। इसका वर्णन हमें महाभारत के प्रथम और द्वितीय अध्याय में मिलता है।

सृष्टि के आरम्भ में ब्रह्माण्ड से किन-किनकी उत्पत्ति हुई?

सृष्टि के आरम्भ में ब्रह्माण्ड से किन-किनकी उत्पत्ति हुई?
जब हम व्यास महाभारत पढ़ते हैं तो उसके पहले ही पर्व, आदिपर्व के अनुक्रमाणिका पर्व के श्लोक २१ में हमें ब्रह्माण्ड की उत्पति और फिर उस ब्रह्माण्ड से जिन-जिन लोगों की उत्पत्ति हुई, उसका वर्णन मिलता है। इससे हमें सृष्टि के आरम्भ का एक सार मिल जाता है।

जब हनुमान जी ने अपने सामर्थ्य का वर्णन किया

जब हनुमान जी ने अपने सामर्थ्य का वर्णन किया
ये तो हम सभी जानते हैं कि हनुमान जी को अपनी शक्ति को भूल जाने के श्राप था। इसी कारण जब वानर सेना समुद्र के किनारे खड़ी हो उस पर जाने की योजना बना रही थी तो विभिन्न वानरों ने अपनी-अपनी शक्ति के अनुसार समुद्र पार करने की बात की। उनमें से किसने कितनी दूर जाने की बात की, इसके बारे में आप यहाँ पढ़ सकते हैं।