पुराणों के अनुसार दक्ष परमपिता ब्रह्मा के पुत्र थे जो उनके दाहिने पैर के अंगूठे से उत्पन्न हुए थे। ये ब्रह्मा के उन प्रथम १६ पुत्रों में थे जो "प्रजापति" कहलाते थे। प्रजापति दक्ष की दो पत्नियाँ थी - स्वयंभू मनु की कन्या प्रसूति और वीरणी (पंचजनी)। प्रसूति से दक्ष की चौबीस कन्याएँ थीं और वीरणी से साठ कन्याएँ। उन सभी के लिए दक्ष प्रजापति ने श्रेष्ठ वर खोजे। आइये उनकी पुत्रियों और उनके पतियों के विषय में जानते हैं।
सोमवार, अगस्त 12, 2013
शनिवार, फ़रवरी 09, 2013
पञ्चसती (पञ्चकन्या)
हिन्दू धर्म में पञ्च सतियों का बड़ा महत्त्व है जिन्हे पञ्चकन्या भी कहा जाता है। ये पांचो सम्पूर्ण नारी जाति के सम्मान की साक्षी मानी जाती हैं। विशेष बात ये है कि इन पांचो स्त्रियों को अपने जीवन में अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और साथ ही साथ इनके पतिव्रत धर्म पर प्रश्न भी उठाए गए, किन्तु इन सब के पश्चात् भी वे हमेशा पवित्र और पतिव्रत धर्म की प्रतीक मानी गई। कहा जाता है कि नित्य सुबह इनके बारे में चिंतन करने से सारे पाप धुल जाते हैं। आइये इनके बारे में कुछ जानें।
१. अहिल्या: ये महर्षि गौतम की पत्नी थी। देवराज इन्द्र इनकी सुन्दरता पर रीझ गए और उन्होंने अहल्या को प्राप्त करने की जिद ठान ली पर मन ही मन वे अहल्या के पतिव्रत से डरते भी थे। एक बार रात्रि में हीं उन्होंने गौतम ऋषि के आश्रम पर मुर्गे के स्वर में बांग देना शुरू कर दिया। गौतम ऋषि ने समझा कि सवेरा हो गया है और इसी भ्रम में वे स्नान करने निकल पड़े। अहल्या को अकेला पाकर इन्द्र ने गौतम ऋषि के रूप में आकर अहल्या से प्रणय याचना की और उनका शील भंग किया। गौतम ऋषि जब वापस आये तो अहल्या का मुख देख कर वे सब समझ गए। उन्होंने इन्द्र को नपुंसक होने का और अहल्या को शिला में परिणत होने का श्राप दे दिया। युगों बाद श्रीराम ने अपने चरणों के स्पर्श से अहल्या को श्राप मुक्त किया।
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