क्या हनुमान जी के पास कोई गदा थी?

क्या हनुमान  जी के पास कोई गदा थी?
कई देवता आपने आयुधों के बिना अधूरे होते हैं। जैसे भगवान विष्णु सुदर्शन, भगवान शंकर त्रिशूल और देवराज इंद्र वज्र के बिना। उसी प्रकार यदि हम पवनपुत्र हनुमान की बात करें तो उनकी गदा उनसे अभिन्न रूप से जुडी हुई है। हमने शायद ही हनुमान जी की ऐसी कोई तस्वीर देखी हो जिसमें वे गदा धारण किये हुए ना हों। लेकिन क्या हो यदि मैं आपको बताऊँ कि रामायण में कहीं भी हनुमान जी के पास किसी गदा के होने का कोई वर्णन नहीं है।

आपमें से कई लोगों को मेरी बात अजीब लग सकती है किन्तु सत्य यही है। मूल वालमीकि रामायण और यहाँ तक कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस में भी हनुमान जी के पास किसी गदा के होने का कोई सन्दर्भ नहीं मिलता। सबसे पहली बात तो ये कि आज हम जो हनुमान जी की बचपन की अनेकों कथाएं सुनते हैं उनका वर्णन भी रामायण में नहीं है। हनुमान जी का सबसे पहला वर्णन हमें रामायण के किष्किंधा कांड में मिलता है। उसके बाद युद्ध कांड तक उनका विस्तृत वर्णन दिया गया है। अंत में रामायण के प्रक्षिप्त उत्तर कांड में हमें हनुमान जी की पूर्व कथा के बारे में बताया गया है।

इन कथाओं में हनुमान जी या किसी भी वानर के पास किसी भी अस्त्र-शस्त्र होने का वर्णन नहीं है। रामायण में साफ़ तौर पर वर्णित है कि लंका का युद्ध वानरों ने केवल अपने बाहुबल से लड़ा था ना कि किसी अस्त्र-शस्त्र से। वानरों के अस्त्र-शस्त्र उनकी भुजाएं, उनके नाखून, उनके दांत और उनकी पूंछ ही थे। इन्ही से सारा लंका युद्ध लड़ा गया। ठीक इसी प्रकार हनुमान जी ने भी सभी युद्ध लडे थे।

रामायण में हनुमान जी द्वारा युद्ध लड़ने का वर्णन दो जगह आता है। पहला वर्णन हमें सुन्दर कांड में मिलता है जब उन्होंने अशोक वाटिका का ध्वंस किया था और सभी राक्षसों का वध कर दिया था। उस समय भी उन्होंने अपने बाहुबल का ही प्रयोग किया। राक्षसों को मारने के लिए उन्होंने बड़े बड़े वृक्षों और चट्टानों का उपयोग अपने अस्त्र के रूप में किया। बाद में जब अक्षयकुमार और मेघनाद से उनका युद्ध हुआ तो भी उन्होंने उसी प्रकार वृक्षों और शिलाओं को उखाड़ कर उनसे युद्ध किया।

हनुमान जी द्वारा युद्ध का दूसरा वर्णन हमें युद्ध कांड में मिलता है। इस पूरे अध्याय में हनुमान जी और अन्य वानरों ने अनेकों राक्षसों का संहार किया जिसके लिए उन्होंने वृक्षों, चट्टानों और पर्वतों का उपयोग हथियार के रूप में किया। युद्ध कांड में ये अवश्य वर्णित है कि राक्षसों के पास अनेकों प्रकार के अस्त्र-शस्त्र थे जिनमें से एक गदा भी थी। उसी सन्दर्भ में एक स्थान पर ये भी लिखा गया है कि वानरराज सुग्रीव ने कई राक्षसों की गदा छीन कर उसी से उनका वध किया। किन्तु किसी भी वानर के पास अपनी गदा होने का कोई सन्दर्भ नहीं मिलता।

ठीक ऐसे ही रामचरितमानस में भी हमें हनुमान जी के पास किसी गदा होने का वर्णन नहीं मिलता। रामायण और मानस के अतिरिक्त एक और वर्णन जो हमें हनुमान जी का मिलता है वो महाभारत के वन पर्व में मिलता है जब भीमसेन की भेंट हनुमान जी से होती है। हालाँकि ये बहुत छोटा अध्याय है किन्तु इसमें भी हनुमान जी के पास किसी गदा की होने का वर्णन हमें नहीं मिलता।

रामायण में तो नहीं किन्तु कुछ पौराणिक कथाओं में हमें हनुमान जी के बचपन की कथा मिलती है जहाँ उन्हें देवताओं द्वारा अनेक वरदान मिलने का प्रसंग मिलता है। उसी सन्दर्भ में कुछ स्थानों पर हमें यक्षराज कुबेर द्वारा हनुमान जी को अपनी गदा प्रदान किये जाने का वर्णन मिलता है। देवताओं द्वारा मिले वरदानों का वर्णन हमें रामायण में भी मिलता है किन्तु वहां ऐसा लिखा गया है कि कुबेर ने उन्हें वरदान दिया कि युद्ध में हनुमान को कोई विषाद नहीं होगा और वे कुबेर की गदा से भी अवध्य रहेंगे। इसके बारे में विस्तार से यहाँ देखें।

किन्तु आज कल यदि आप इंटरनेट पर फैली जानकारी को देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि ना सिर्फ हनुमान जी के गदा की मिथ्या जानकारी मिलती है बल्कि उनकी गदा का नाम भी मिलता है। इंटरनेट पर लोग हनुमान जी की गदा का नाम कौमोदीकी बताते हैं जबकि ये बिलकुल गलत है। कौमोदीकी भगवान विष्णु की गदा का नाम है और उनके द्वारा अपनी गदा हनुमान जी को दिए जाने का कोई वर्णन हमें कहीं नहीं मिलता।

तो अंत में जानने योग्य बात ये है कि रामायण या किसी अन्य ग्रन्थ में हनुमान जी या किसी भी अन्य वानर के पास किसी भी गदा होने का कोई सन्दर्भ हमें नहीं मिलता। महाबली हनुमान ने जो कोई भी युद्ध लड़ा वो केवल अपने बाहुबल द्वारा लड़ा। रहा प्रश्न ये कि आज जो हनुमान जी की गदा के बारे में बताया जाता है उसका आरम्भ कहाँ से हुआ तो ये कहना बड़ा कठिन है। शायद बाद में रची गयी लोक कथाओं में हनुमान जी के पास गदा होने की बात कह दी गयी होगी।

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