नवरत्न

नवरत्न
ज्योतिष शास्त्र में नवरत्नों का बड़ा महत्त्व है। इन नवरत्नों को नवग्रहों से जोड़ कर देखा जाता है। अलग-अलग ग्रहों से प्रभावित व्यक्तियों को अलग-अलग रत्नों को धारण करने की सलाह दी जाती है। हर रत्न के लिए एक विशेष मन्त्र भी है। कई बार रत्न काफी महंगे होते हैं इसी कारण इसके स्थान पर उपरत्नों को भी धारण किया जा सके ताकि निर्धन व्यक्ति भी इसका लाभ उठा सके। टूटा-फूटा, चिटका, दाग-धब्बेदार, रक्त या ताम्रवर्णीय मोती धारण करना हानिकारक होता है। तो आइये नवरत्नों के विषय में कुछ जानते हैं:
  1. माणिक्य
    • ग्रह: सूर्य
    • धारण विधि: यह रत्न कम से कम तीन रत्ती का हो, इसे सोने की अंगूठी में सूर्य मन्त्र द्वारा अभिमंत्रित कर रविवार के दिन धारण करना चाहिए। 
    • धारण मन्त्र: ॐ आ कृष्णेन राजसा वर्तमानो निवेशयनमृतं मर्त्य च। हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन।।
    • उपरत्न: तामड़ा या कन्टकिज धारण करें। इसके आभाव में सूर्य का यंत्र अथवा बिल्व वृक्ष की जड़ गले या बांह में धारण कर सकते हैं। 
  2. मोती
    • ग्रह: चन्द्रमा 
    • धारण विधि: कम से कम चार या छः रत्ती का हो। चाँदी की अँगूठी में सोमवार के दिन चंद्र मन्त्र से अभिमंत्रित कर धारण करें। 
    • धारण मन्त्र: ॐ इमं देवाSअसपत्नठर्य सुवध्वं महते क्षत्राय महते जानराज्यएन्द्रियाय। इममुष्यै पुत्रमुमूस्यै विष एष वोSमीराजा सोमोSस्माकं ब्रह्मणानार्ठ राजा।।
    • उपरत्न: गोदन्ती या चंद्र कान्तमणि धारण करें। इसके अतिरिक्त चन्द्रयंत्र या खिरनी की जड़ को सफ़ेद वस्त्र में बांध कर गले या बांह पर धारण करें। 
  3. मूंगा
    • ग्रह: मंगल 
    • धारण विधि: कम से कम छः या आठ रत्ती का हो। यह मंगलवार के दिन चाँदी या सोने की अँगूठी में भौममंत्र द्वारा अभिमंत्रित कर धारण करें। 
    • धारण मन्त्र: ॐ अग्निमूर्धा दिवः कुकुत्पतिः पृथिव्या अयम। अपार्ठ रेतार्ठ सि जिन्वति।।
    • उपरत्न: विद्रुमणि या संगमूंगी अथवा अफीक एवं मंगल का यंत्र या अनंतमूल वृक्ष की जड़ को लाल कपडे में बांध कर गले या बांह में धारण करें। 
  4. पन्ना
    • ग्रह: बुध
    • धारण विधि: कम से कम छः रत्ती का हो। चाँदी या सोने की अँगूठी में बुधवार के दिन बुध मन्त्र से अभिमंत्रित कर धारण करें। 
    • धारण मन्त्र: ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते सर्ठ सृजेथामयं च। अस्मिन्त्सधस्थेSध्युत्तरस्मनिम् विश्वे देवा यजमानश्च सीदत।।
    • उपरत्न: हरा मरगज या बुध यंत्र या विधारा की जड़ हरे धागे या कपडे में बांध कर गले या बांह में धारण करें। 
  5. पुखराज
    • ग्रह: बृहस्पति 
    • धारण विधि: कम से कम पांच या सात रत्ती का हो। सोने की अँगूठी में बृहस्पतिवार के दिन बृहस्पति मन्त्र द्वारा अभिमंत्रित कर धारण करें। 
    • धारण मन्त्र: ॐ बृहस्पतेSअति यदर्योSअर्हाधुमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यदीदयच्छ वसSऋतप्रजा तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम।।
    • उपरत्न: सुनेहला या बृहस्पति यंत्र या भारंगी की जड़ पीले कपडे में बांध कर गले अथवा बांह में धारण करें।
  6. हीरा
    • ग्रह: शुक्र 
    • धारण विधि: कम से कम चार रत्ती का हो। इसे सोने की अंगूठी में शुक्र मन्त्र से अभिमंत्रित करके शुक्रवार के दिन धारण करें। 
    • धारण मन्त्र: ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिवत क्षत्रं पयः सोमं प्रजापतिः ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानर्ठ शुक्रमसन्ध इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोSमृतं मधु।।
    • उपरत्न: सफ़ेद पुखराज या स्फटिक धारण करें। अथवा शुक्र यंत्र या मजीठ की जड़ को सफ़ेद कपडे में बांध कर गले या बांह में धारण करें। 
  7. नीलम
    • ग्रह: शनि 
    • धारण विधि: चार रत्ती से कम ना हो। चाँदी, पंचधातु या लोहे की अँगूठी में शनिवार के दिन शनि मन्त्र से अभिमंत्रित कर धारण करें। 
    • धारण मन्त्र: ॐ शन्नो देवीरभीष्टय Sआपो भवन्तु पीतये। शं यो रभिस्त्रवन्तु नः।।
    • उपरत्न: नीली, घोड़े की नाल की अँगूठी या कटैला वृक्ष की जड़ या शनि यंत्र को अभिमंत्रित कर धारण करने का विधान है। 
  8. गोमेद
    • ग्रह: राहु 
    • धारण विधि: कम से कम आठ रत्ती का गोमेद चाँदी की अँगूठी में जड़वाकर शनिवार या बुधवार के दिन राहु मन्त्र से अभिमंत्रित कर पहने। 
    • धारण मन्त्र: ॐ कया नश्चित्र Sआभुवदूती सदावृधः सखा। कयाशचिष्ठयावृता।।
    • उपरत्न: तुरसावा या राहु यंत्र अथवा सफ़ेद चन्दन की जड़ काले कपडे में बांध कर धारण करने का प्रावधान है।
  9. लहसुनिया
    • ग्रह: केतु
    • धारण विधि: कम से कम चार रत्ती लहसुनिया लोहा, पंचधातु अथवा चाँदी की अँगूठी में बुधवार या शनिवार के दिन केतु मन्त्र से अभिमंत्रित कर धारण करें। 
    • धारण मन्त्र: ॐ केतुं कृण्वन्न केतवे मर्या Sअपेशसे समुषरिद्धिरजायथाः।।
    • उपरत्न: गोदन्ती या लाजावर्त धारण करें। अथवा केतु यंत्र या असगंध वृक्ष की जड़ को काले कपडे में बांध कर गले या बांह में धारण करें।

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