हनुमान को किन देवताओं से क्या वरदान मिले?

हनुमान को किन देवताओं से क्या वरदान मिले?
हम सभी हनुमान जी द्वारा बचपन में सूर्यदेव को एक फल समझ कर खाने के प्रयास के विषय में जानते हैं। उस समय हनुमान मारुति के नाम से जाने जाते थे। बालपन में ही उन्होंने सूर्यदेव को फल समझ कर निगलना चाहा। जब देवराज इंद्र ने ये देखा तो उन्होंने सूर्य की रक्षा के लिए मारुति पर अपने वज्र से प्रहार किया।

इंद्र के वज्र के प्रहार से मारुति की ठुड्डी टूट गयी और वे अचेत होकर पृथ्वी पर आ गिरे। जब पवनदेव ने ये देखा कि इंद्र देव ने उनके धर्मपुत्र पर प्रहार किया है तो उन्होंने संसार से प्राणवायु खींच ली। इससे समस्त प्राणी मृत्यु के निकट पहुँच गए।

ऐसा देख कर परमपिता ब्रह्मा स्वयं वहां पहुंचे और उन्होंने पवनदेव को प्राणवायु लौटने का आदेश दिया ताकि सृष्टि सुचारु रूप से चल सके। उन्होंने ये भी समझाया कि सूर्य नवग्रहों के प्रमुख हैं और यदि उनका अहित होता तो समस्त पृथ्वी का संतुलन बिगड़ जाता। इसी कारण इंद्र द्वारा उनकी रक्षा का जो उपाय किया गया वो आवश्यक था।

ये सुनकर पवनदेव ने ब्रह्माजी से प्रार्थना की कि पहले वे उनके पुत्र के प्राण बचाएं। उनकी प्रार्थना सुनकर ब्रह्मा जी ने मारुति को चेतन किया और उनके बल की प्रशंसा की। चूँकि इंद्र के प्रहार से मारुति की ठुड्डी, जिसे संस्कृत में "हनु" कहा जाता है, टूटी थी इसी कारण ब्रह्मदेव ने उन्हें हनुमान नाम दिया।

हनुमान ने ब्रह्मदेव से अपने कृत्य के लिए क्षमा मांगी। उनका ऐसा बल और नम्रता देखकर वहां उपस्थित देवताओं ने उन्हें कई वरदान दिए। रामचरितमानस में हनुमान को आठ देवताओं द्वारा आठ वरदान दिए जाने का वर्णन मिलता है। उन वरदानों के कारण ही हनुमान त्रिलोक में अजेय हो गए। 

आइये हनुमान को मिले उन आठ वरदानों के विषय में जानते हैं। यहाँ पर ध्यान देने वाली बात ये है कि हम इस लेख में हनुमान की अष्ट सिद्धियोंनव निधियों या उनकी गौण सिद्धियों के बारे में बात नहीं करने वाले हैं। ना ही हम उन्हें बाद में मिले वरदानों को यहाँ जोड़ रहे हैं। यहाँ हम केवल उन आठ वरदानों की बात कर रहे हैं जो उस समय हनुमान को मिले।
  1. ब्रह्मा: परमपिता ने हनुमान को दीर्घायु और प्रभु की अनन्य भक्ति का वरदान दिया। उन्होंने हनुमान को ये भी वरदान दिया कि हनुमान सभी अस्त्रों, यहाँ तक कि ब्रह्मदण्ड द्वारा भी अवध्य रहेंगे। उन्होंने हनुमान को पवन की गति से भ्रमण करने का वरदान दिया और इच्छाधारी होने का वरदान भी प्रदान किया। और तो और उन्होंने हनुमान को ब्रह्मास्त्र द्वारा भी रक्षा का वरदान दिया। यही कारण था कि जब अशोक वाटिका में मेघनाद ने हनुमान पर ब्रह्मास्त्र चलाया तो ब्रह्माजी के वरदान के कारण वे उससे बच सकते थे किन्तु इससे ब्रह्मास्त्र का अपमान होता इसीलिए उन्होंने ऐसा नहीं किया।
  2. रूद्र: हनुमान स्वयं रुद्रावतार थे। भगवान शंकर ने उन्हें ये वरदान दिया कि वे उनके शस्त्रों द्वारा भी अवध्य रहेंगे। भगवान शंकर ने ने यह वरदान दिया कि यह मेरे और मेरे शस्त्रों द्वारा भी अवध्य रहेगा। भगवान शंकर ने कुम्भकर्ण को अपने त्रिशूल की प्रतिलिपि प्रदान की थी जिसे उसने युद्ध में लक्ष्मण पर चला दिया था। महादेव द्वारा दिए गए वरदान के कारण हनुमान ने उसे बीच में ही पकड़ कर तोड़ डाला।
  3. इंद्र: इंद्र द्वारा ही उनपर प्रहार किया गया था इसी कारण उन्होंने हनुमान को दो वरदान दिए। पहले वरदान में उन्होंने कहा कि हनुमान अब से उनके वज्र द्वारा भी अवध्य रहेंगे। यही नहीं उन्होंने हनुमान के पूरे शरीर को वज्र का बना दिया जिसपर किसी अस्त्र-शस्त्र का प्रभाव ना हो। उनका शरीर वज्र का हो जाने के कारण ही उनका एक और नाम वज्रांग पड़ा जो बाद में अपभ्रंश होकर बजरंग हो गया। इस पर एक लेख हमने पहले ही लिखा है जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं। 
  4. सूर्य: हालाँकि हनुमान ने सूर्य को निगलने का प्रयास किया था किन्तु फिर भी उन्होंने भी हनुमान को दो वरदान दिए। पहले वरदान के रूप में उन्होंने हनुमान का अपने तेज का सौंवा भाग प्रदान दिया जिससे हनुमान का तेज भी सूर्य के समान हो गया। इसके अतिरिक्त उन्होंने हनुमान को अपने शिष्य के रूप में स्वीकार किया और ये वरदान दिया कि समय आने पर वे ही उन्हें समस्त शास्त्रों का ज्ञान प्रदान करेंगे जिससे उनके ज्ञान की समता करने वाला पृथ्वी पर और कोई नहीं होगा। अपनी शिक्षा के समय ही हनुमान ने सूर्यदेव की पुत्री सुवर्चला से विवाह किया।
  5. यम: यमराज ने हनुमान को यमदण्ड से सुरक्षित रहने का वरदान दिया। यमराज ने कहा कि जब तक हनुमान धर्म पथ पर रहेंगे मृत्यु उन्हें नहीं छू पायेगी। उनके इस वरदान के कारण हनुमान एक प्रकार से अवध्य हो गए।
  6. कुबेर: यक्षराज कुबेर ने हनुमान को युद्ध में सदैव स्थिर रहने का वरदान दिया। उन्होंने कहा कि कभी भी इस बालक को युद्ध में किसी प्रकार का कोई विषाद नहीं होगा और इसी कारण इसे युद्ध में जीतना असंभव होगा। उन्होंने युद्ध में हनुमान को अपनी गदा से भी अभय प्रदान किया। रामायण के कुछ संस्करणों के अनुसार कुबेर ने ही हनुमान को वरदान स्वरुप अपनी गदा प्रदान की।
  7. वरुण: जल के देवता वरुण ने हनुमान को जल में अवध्य रहने का वरदान दिया। उन्होंने हनुमान को ये वरदान भी दिया कि १०००००० वर्षों की आयु तक उन्हें मेरे वरुण पाश से अभय प्राप्त होगा और उनकी मृत्यु नहीं होगी। 
  8. विश्वकर्मा: देवशिल्पी विश्वकर्मा ने हनुमान को चिरंजीवी रहने का वरदान दिया। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा निर्मित जितने भी अस्त्र-शस्त्र हैं हनुमान उन सभी से अवध्य रहेगा। देवों और दैत्यों के लगभग सभी आयुध विश्वकर्मा ने ही बनाये थे इसी कारण उनके वरदान द्वारा हनुमान लगभग सभी अस्त्र-शस्त्रों से अवध्य और अजेय हो गए।

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