शिव परिवार में विरोधाभास

शिव परिवार में विरोधाभास
हम सभी भगवान शंकर के परिवार के विषय में जानते हैं। महादेव इस परिवार के प्रमुख हैं। उनकी पत्नी माता पार्वती हैं। इन दोनों की एक पुत्री और दो पुत्र हैं। हालाँकि कई और लोगों को महादेव के पुत्र एवं पुत्री होने का गौरव प्राप्त है किन्तु मुख्य रूप से उनकी तीन संताने ही है - पुत्री अशोकसुन्दरी एवं पुत्र कार्तिकेय एवं गणेश। भगवान शंकर के अन्य पुत्र-पुत्रियों के बारे में विस्तार से इस लेख में पढ़ें।

लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शंकर के इस परिवार में जबरदस्त विरोधाभास दिखता है। वास्तव में ऐसा इसलिए है ताकि ये गृहस्थ जीवन हेतु एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत कर सके। लेकिन आइये इससे पहले शिव परिवार के प्रमुख वाहनों के विषय में भी जान लेते हैं। 

महादेव का वाहन है बैल (नंदी), माता पार्वती का वाहन है सिंह, माता त्रिपुर बालासुन्दरी के रूप में अशोकसुन्दरी का वाहन भी नंदी ही है। कार्तिकेय का वहां मयूर (मोर) है और गणपति का वाहन मूषक (चूहा) है। इसके अतिरिक्त नागराज वासुकि भी महादेव के परिवार के अभिन्न अंग हैं। 

बस यहीं से उनके परिवार में परस्पर विरोधाभास दिखना आरम्भ हो जाता है। एक ओर मूषक और नाग स्वभाव से एक दूसरे के शत्रु हैं क्यूंकि नाग मूषक को खा जाता है। वहीँ दूसरी ओर मयूर और नाग भी एक दूसरे के शत्रु हैं क्यूंकि मयूर भी नाग का ही भक्षण करता है। इसके इतर महादेव और माता पार्वती के वाहन भी परस्पर विरोधी हैं क्यूंकि सिंह बैल को अपना ग्रास बना लेता है।

तो यहाँ स्पष्ट दिखता है कि शिव परिवार के सभी सदस्य एक प्रकार से परस्पर एक दूसरे के विरोधी प्रकृति के हैं, किन्तु फिर भी वे सभी एक ही स्थान पर मिल-जुल कर सुख पूर्वक रहते हैं। यही इस परिवार की सबसे अद्भुत बात है। इस प्रकार अलग-अलग स्वाभाव से युक्त सभी एक ही परिवार में सुख पूर्वक रहते हुए गृहस्थ जीवन का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इसकी धुरी माता पार्वती हैं जिन्होंने अन्नपूर्णा के रूप में सारे घर को बांध रखा है।

कुछ ऐसा ही विशेष गुण भगवान शंकर के स्वरुप में भी दिखता है क्यूंकि वे ही केवल ऐसे हैं जो सर्वपूज्य हैं। चाहे वो देवता हो, चाहे दानव, राक्षस, दैत्य, नाग, किन्नर, गन्धर्व, मनुष्य या कोई भी अन्य जाति, महादेव की कृपादृष्टि समान रूप से सभी पर रहती है। यही कारण है कि वे समस्त जगत में समान रूप से पूज्य हैं। भगवान शंकर के परिवार का यह उदाहरण आज के आधुनिक युग में अद्भुत रूप से प्रासंगिक है।

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