आज आधुनिक विज्ञान ने बहुत उन्नति कर ली है और पृथ्वी के बारे में विस्तृत जानकारी हमारे पास है। हम सभी को पता है कि आज के युग में पृथ्वी को ७ महाद्वीपों में बंटा गया है। लेकिन क्या आपको पता है कि उसका आधार कैसे पड़ा? क्यों हम पृथ्वी को केवल ७ महाद्वीपों में ही बांटते हैं? उसका कारण ये है कि सप्तद्वीपों की विचारधारा आधुनिक नहीं है बल्कि हमारे हिन्दू धर्म में इसकी अवधारणा प्राचीन काल से चली आ रही है। आपको कदाचित ये पता नहीं होगा कि जो विश्व का नक्शा आज हमारे पास है वो भी महर्षि वेदव्यास की ही देन है। इसके बारे में आप यहाँ जान सकते हैं।
तो वापस अपने मूल मुद्दे पर लौटते हैं। आज पृथ्वी को ७ महाद्वीपों में बाँटने का कारण ये है कि हमारे पौराणिक ग्रंथों में भी पृथ्वी को ७ द्वीपों में ही बांटा गया है। रामायण में वर्णन है कि रावण ने इन सातों द्वीपों को जीत लिया था इसीलिए उसे "सप्तद्वीपाधिपति" कहा जाता था। इन सभी द्वीपों में अलग-अलग देश, पर्वत, नदियां और लोग निवास किया करते थे और ये सातों द्वीप सात पौराणिक समुद्रों से घिरे थे। अब यहाँ एक प्रश्न आता है कि आधुनिक महासागर तो ५ हैं। लेकिन आप अगर केवल ५० वर्ष पीछे जाएंगे तो वैज्ञानिकों ने पहले ७ महासागरों की ही परिकल्पना की थी जिसे हाल के वर्षों में ५ तक सीमित कर दिया।
आज हम जिस आर्यावर्त में बैठे हैं वो जम्बूद्वीप के अंतर्गत आता था। विद्वान आज के एशिया महाद्वीप को ही प्राचीन जम्बूद्वीप मानते हैं। उसी प्रकार अन्य ७ द्वीप भी थे जिनमे अलग-अलग देश थे जहाँ विभिन्न राजा शासन करते थे। अगर आप ध्यान से देखें तो आज भी बिलकुल वही स्थिति है। हरेक महाद्वीप में कई देश हैं और वहाँ उनकी सरकार का शासन है। पौराणिक मेरु पर्वत को पृथ्वी का केंद्र माना जाता था। आइये अब उन सात पौराणिक द्वीपों के विषय में जानते हैं। ये सात द्वीप थे:
जंबू प्लक्षाह्वयौ द्वीपौ शाल्मलश्चापरो द्विज।
कुश: क्रौंच्स्तथा शाक: पुष्करश्चैव सप्तम:।।
- जम्बू द्वीप: ये चारो ओर से लवण (खारे पानी) के सागर से घिरा है।
- आज का एशिया महाद्वीप।
- प्लक्ष द्वीप: ये चारो ओर से इक्षुरस (गन्ने के रस) के सागर से घिरा है।
- आज के दक्षिण अमेरिका का भूभाग।
- शाल्मल द्वीप: ये चारो ओर से मदिरा (शराब) के सागर से घिरा है।
- वर्तमान का ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप।
- कुश द्वीप: ये चारो ओर से घृत (घी) के सागर से घिरा है।
- प्रशांत महासागर के आस पास फैला हुआ भूखंड जिसे हम ओशिआनिया के नाम से जानते हैं।
- क्रौंच द्वीप: ये चारो ओर से दधि (दही) के सागर से घिरा है।
- आज का अफ्रीका महाद्वीप।
- शाक द्वीप: ये चारो ओर से दुग्ध (दूध) के सागर से घिरा है।
- आज का यूरोप महाद्वीप।
- पुष्कर द्वीप: ये चारो ओर से मीठे जल के सागर से घिरा है।
- आज के उत्तरी अमेरिका का भूभाग।
अगर आप इस मानचित्र को देखें तो पाएंगे कि हरेक द्वीप ना केवल अपने-अपने सागर से घिरा है अपितु हर द्वीप अपने से बड़े द्वीप से भी घिरा है। तो इस आधार पर आप पाएंगे कि जम्बू द्वीप सबसे छोटा और मध्य में तथा पुष्कर द्वीप सबसे बड़ा और बाहरी भूभाग है। पृथ्वी की इस संरचना का वर्णन महर्षि पराशर ने मैत्रेय ऋषि से किया था। इन सातों द्वीपों का सम्मलित फैलाव ५०००००००० (पचास करोड़) योजन माना गया है। आगे के लेखों में हम प्रत्येक द्वीप का विस्तार पूर्वक वर्णन करेंगे। अगले लेख में जम्बू द्वीप के बारे में जानकारी दी जाएगी।
जी बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंप्रतीक्षा है।
धन्यवाद
हटाएंNice Answer..
जवाब देंहटाएंSouth America is mentioned two times and/bu North-America and Antartica are not even mentioned once.
जी बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंप्रतीक्षा है।
बहुत आभार
हटाएंजम्बू द्वीप पीला रंग में और सबसे बाहर में दिखाया गया है।
जवाब देंहटाएंJambu dvip sahi nah to phir yah hamari schools ki kitabo me iska nam kyo nahi hai
जवाब देंहटाएंक्योंकि कलिकाल में राक्षसी शासन होता है जो हमको राक्षसी शासन के अन्तर्गत सब कुछ मलेच्छ झूठ असत्य पढ़ाया जाता है जिसका कुछ भी मतलब नहीं है सिवाय पेट के लिए धन कमाने के
हटाएंसही है।
हटाएंये सारे द्वीपों के घी दूध दही से घिरा होना संभव नहीं, तो फिर ये घी दूध की बात की वजह से कही गई होगी।
जवाब देंहटाएंये सारी पौराणिक बातें बहुत पहले के काल की है। उसे आज के परिपेक्ष्य में मत देखिए।
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