शिलप्पदिकारम - कोवलन और कण्णगी की कथा

अगर हम दक्षिण भारत की ओर देखें, तो ये विभिन्न प्रकार के धार्मिक कथाओं से भरा पड़ा है। उन्ही में से एक कथा है "शिलप्पदिकारम" काव्य में वर्णित कण्णगी-कोवलन की कथा। ये काव्य संगम काल में, लगभग २००० वर्ष पहले, पहली सदी में एक जैन राजकुमार "इलांगो अडिगल" के द्वारा लिखा गया था। इस काव्य की गणना तमिल साहित्य के ५ सबसे बड़े महाकाव्यों में की जाती है।

नचिकेता

नचिकेता पौराणिक काल के तेजस्वी ऋषि-पुत्र थे जो ऋषि वाजश्रवा के पुत्र थे। इनका वर्णन कठ-उपनिषद में मिलता है। एक बार वाजश्रवा देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु विश्वजीत यज्ञ कर रहे थे। यज्ञ के पश्चात उन्होंने ब्राह्मणों को गौ-दान दान देना प्रारम्भ किया। उनका पुत्र नचिकेता भी उनके साथ था।

मंथरा

मंथरा रामायण की एक महत्वपूर्ण और कदाचित सबसे घृणित पात्र मानी जाती है। घृणित इसलिए क्यूँकि उसी के कहने पर कैकेयी ने श्रीराम के लिए १४ वर्षों का वनवास माँगा। संस्कृत में मंथरा का अर्थ कुबड़ा होता है और उसके कुबड़े होने के कारण ही उसे ये नाम मिला होगा। वो राजा दशरथ की तीसरी पत्नी कैकेयी की धाय थी और विवाह के पश्चात कैकेयी के साथ वो भी अयोध्या आ गयी थी।

विराट युद्ध - जब अर्जुन को विश्वास ना हुआ कि भीष्म मूर्छित हो सकते हैं

महाभारत में एक पर्व है "विराट पर्व" जिसमे पांडवों के १२ वर्ष के वनवास के बाद बिताये गए एक वर्ष के अज्ञातवास का वर्णन है। ये समय पांडवों ने द्रौपदी सहित विराटराज के राज्य में बिताया था। इस काल में वे सभी विराटराज के राज्य में दास बनकर रहे। युधिष्ठिर कंक, भीम बल्लभ, अर्जुन क्लीव बृहन्नला, नकुल ग्रन्थिक, सहदेव तन्तिपाल और द्रौपदी सैरंध्री के नाम से छुपकर उस नगर में रहे। उधर हस्तिनपुर में दुर्योधन किसी भी परिस्थिति में उन्हें ढूंढ निकलना चाहता था ताकि शर्त के अनुसार वे फिर १२ वर्षों के वनवास पर चले जाएँ।

शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है?

आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं। इस बार देश में अलग अलग राज्यों में दो दिन, १३ एवं १४ को महाशिवरात्रि मनाई जा रही है। इसका एक कारण ये भी है कि इस बार महाशिवरात्रि के मुहुर्त १३ तारीख की मध्यरात्रि में पड़ने का अनुमान है। जहाँ बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल और उत्तर भारत में इस पर्व को १४ फरवरी को मनाया जा रहा है वहीं दक्षिण भारत जैसे कर्नाटक, आंध्रा एवं तमिलनाडु में इस बार महाशिवरात्रि १३ फ़रवरी को मना ली गयी।

श्रीकृष्ण के जीवन के अनजाने तथ्य

  • श्रीकृष्ण के जन्म के समय और उनकी आयु के विषय में पुराणों व आधुनिक मिथकविज्ञानियों में मतभेद हैं। हालाँकि महाभारत के समय उनकी आयु ७२ वर्ष बताई गयी है। महाभारत के पश्चात पांडवों ने ३६ वर्ष शासन किया और श्रीकृष्ण की मृत्यु के तुरंत बाद ही उन्होंने भी अपने शरीर का त्याग कर दिया। इस गणना से उनकी आयु उनकी मृत्यु के समय लगभग १०८ वर्ष थी। ये संख्या हिन्दू धर्म में बहुत ही पवित्र मानी जाती है। यही नहीं, परगमन के समय ना उनका एक भी केश श्वेत था और ना ही शरीर पर कोई झुर्री थी।

सीता नवमी

आप सभी को जानकी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। राम नवमी की तरह इसे सीता नवमी के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि इस पर्व का प्रचलन बहुत अधिक नहीं है किन्तु इसका रामायण में विशेष महत्त्व वर्णित है और नेपाल में खासकर इस पर्व को बड़े उत्साह से मनाया जाता है। नेपाल के जानकी मंदिर में इस दिन बहुत बड़ा आयोजन किया जाता है। कहा जाता है कि आज के दिन ही माता सीता भूमि के गर्भ से प्रकट हुई थी और इसी कारण इसे जानकी जयंती के नाम से जाना जाता है।

पञ्चाङ्ग

हिंदू या सनातन धर्म विविधता से परिपूर्ण है या ये कहना अनुचित नहीं होगा कि हिंदू धर्म वास्तव में एक जीवन पद्धति है। हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में व्रत, पर्व, त्यौहार, पञ्चांग और मुहूर्त का विशेष महत्व है जिसके बिना हिन्दू धर्म में किसी उत्सव की कल्पना नहीं की जा सकती है। होली, दिवाली से लेकर हिंदू धर्म में कई शुभ तिथियों और त्यौहारों का बड़ा महत्व है और इन सबों का आधार पंचांग ही है। पंचांग को ही हिन्दू कैलेंडर कहते हैं।

जब कर्ण ने अंत समय में भी दान दिया

पिछली कथा
में हमने पढ़ा कि कैसे कृष्ण ने कर्ण की दानवीरता अर्जुन को दिखाई। इस लेख में एक और घटना के विषय में हम आपको बताएँगे जिसने कर्ण की दानवीरता सिद्ध की। युद्ध का सत्रहवाँ दिन ख़त्म हो चुका था। आज के युद्ध में कौरव सेना के तीसरे सेनापति महारथी कर्ण की पराजय हो चुकी थी। अर्जुन को कर्ण पर विजय प्राप्त करने के लिए उसपर तब प्रहार करना पड़ा था जब वो धरती में धँसे अपने रथ का चक्र निकाल रहा था। इसी कारण युद्ध के पश्चात अर्जुन का मन अत्यंत व्यथित था।

भगवान शिव के सभी अवतार

भगवान विष्णु के दशावतार के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन भगवान शिव के अवतारों के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे। आज हम आपको भगवान शिव के अवतारों के बारे में बताते हैं। शिव महापुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों का वर्णन मिलता है जिनमे से १९ अवतारों के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है। वैसे शिव के अंशावतार भी बहुत हुए हैं। यहाँ पर हम भगवान् शिव के ज्योर्तिर्लिंग के बारे में जानकारी नहीं दे रहे हैं क्योंकि वे अवतार नहीं हैं। उनकी व्याख्या हम अलग से विस्तार में करेंगे।