क्या भगवान शंकर वास्तव में भस्म हो जाते यदि भस्मासुर उनके सर पर हाथ रख देता?

क्या भगवान शंकर वास्तव में भस्म हो जाते यदि भस्मासुर उनके सर पर हाथ रख देता?
हम सब ने भस्मासुर की कथा सुनी या पढ़ी है। उस पर बने कई फिल्म और टीवी सीरियल भी देख चुके हैं। इन आधुनिक कृतियों द्वारा जनमानस में जो सबसे बड़ी भ्रान्ति फैलाई जाती है वो ये है कि त्रिलोक के स्वामी महादेव भी किसी के डर से मारे मारे फिर सकते हैं। ये महादेव का घोर अपमान है। इस बारे में चर्चा करने से पहले भस्मासुर के विषय में जान लेते हैं।

भस्मासुर का वर्णन हमें शिव पुराण एवं श्रीमद्भागवत में मिलता है। हालाँकि दोनों की कथाओं में थोड़ा भेद है, किन्तु मूल कथा एक ही है। कथा के अनुसार एक असुर था जिसका नाम था वृकासुर। उसने अमर होने के लिए केदार क्षेत्र में महादेव की घोर तपस्या आरम्भ कर दी। बहुत समय बीत गया किन्तु भगवान शंकर प्रसन्न ना हुए। तब उसने क्रोध में आकर हठ पूर्वक तपस्या करने की ठानी।

महादेव को शीघ्र प्रसन्न करने के उद्देश्य से उसने वही केदार में एक भयंकर अग्निकुंड बनाया और अपने शरीर का मांस काट काट कर महादेव के नाम से उस अग्निकुंड में अर्पित करने लगा। जैसे ही अंत में उसने अपना शीश काटने का प्रयास किया, महादेव प्रकट हुए और उसका हाथ पकड़ लिया। उन्होंने वृकासुर को स्वस्थ कर दिया और वरदान मांगने को कहा।

तब वृकासुर ने अमरता का वरदान माँगा जिसे देने से महादेव ने मना कर दिया। तब वृकासुर ने वरदान माँगा कि वो जिसके सर पर हाथ रख दे, वो भस्म हो जाये। महादेव ने उसे ये वरदान दे दिया और अंतर्धान हो गए। उसी वरदान के कारण उस समय से वृकासुर भस्मासुर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वरदान के मद में आकर उसने सृष्टि में त्राहि-त्राहि मचा दी। उसका जिसे भी मन होता, उसे भस्म कर देता। उसके अत्याचारों की ताप महादेव तक भी पहुंची। 

तब उसका नाश करने के लिए महादेव की प्रेरणा से देवर्षि नारद उसके पास गए। उन्होंने उससे कहा कि "हे असुर राज! एक पुरुष की पूर्णता उसकी भार्या से ही होती है, अतः अब आपको विश्व की सर्वोत्तम नारी से विवाह कर लेना चाहिए।" ये सुनकर भस्मासुर ने उनसे पूछा कि मेरे योग्य नारी कौन सी है। इस पर देवर्षि ने कहा कि इस चौदह भुवनों में देवी पार्वती से अधिक रूपवती नारी कोई और नहीं है, किन्तु महादेव के रहते उन्हें प्राप्त करना असंभव है।

भस्मासुर शक्ति के मद में तो था ही, अब माता पार्वती के रूप के विषय में सुनकर हित-अहित सब भूल गया। वो तत्काल कैलाश पहुंचा और माता पार्वती से विवाह करने का प्रस्ताव रखा। तब माता पार्वती ने उसकी बड़ी भर्त्स्यना की। तब ये सोचकर कि महादेव के रहते माता पार्वती उसका प्रस्ताव नहीं स्वीकारेंगी, भस्मासुर ने उन्ही से मिले वरदान का प्रयोग उन्ही पर करना चाहा।

अब महादेव धर्म संकट में पड़ गए। उस असुर का नाश करना उनकी इच्छामात्र पर निर्भर था किन्तु अपने भक्त का वध स्वयं कैसे करते? दूसरा ये कि यदि भस्मासुर उनके सर पर हाथ रख देता तो स्वयं उनका वरदान झूठा हो जाता। तब भस्मासुर को स्वयं अपने ही क्रोध से बचाने के लिए वे कैलाश छोड़ कर चले गए। किन्तु भस्मासुर ने उनका पीछा नहीं छोड़ा।

उनका पीछा करते हुए उसने कई निरपराधों को भस्म कर दिया। तब महादेव ने उस स्थिति से बचने के लिए श्रीहरि का स्मरण किया। नारायण तत्काल वहां आये और उन्होंने महादेव से कहा कि जब तक वे भस्मासुर का कोई उपाय ना धुंध लें, वे कही एक जगह स्थित हो जाएँ। तब भोलेनाथ ने वहीं थोड़ी दूर पर पाने त्रिशूल से एक गुफा बनाई और उसी के अंदर गुप्तवास को चले गए।

इसके बाद श्रीहरि ने मोहिनी अवतार लिया और भस्मासुर के पास आये। उनका रूप देख कर भस्मासुर सब कुछ भूल गया और उनसे विवाह का प्रस्ताव रखा। तब मोहिनी रुपी श्रीहरि ने कहा कि उनका प्रण है वे उसी से विवाह करेंगी जो उनके समान ही नृत्य प्रवीण होगा। भस्मासुर को नृत्य करना आता नहीं था। तब उसने मोहिनी से ही प्रार्थना की कि वे उन्हें नृत्य सिखाएं। मोहनी मान गयी।

अब भस्मासुर की नृत्य शिक्षा प्रारम्भ हुई। उसे सभी प्रकार की नृत्य कलाओं से निपुण करने के बाद मोहिनी रुपी श्रीहरि ने कहा कि अब वे उसकी परीक्षा लेंगी और यदि वो उस परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ तब वे उससे विवाह कर पाएंगी। भस्मासुर मान गया। मोहिनी रुपी श्रीहरि ने उससे कहा कि वो जैसा नृत्य करे, ठीक वैसा नृत्य कर के वो दिखाए। उसी प्रक्रिया में मोहिनी ने अपना हाथ अपने सर पर रख दिया। उनकी नकल करने के प्रयास में भस्मासुर ने भी वैसा ही किया और स्वयं भस्म हो गया। उसका वरदान उसी के लिए श्राप बन गया।

एक और कथा के अनुसार भस्मासुर की उत्पत्ति महादेव के शरीर पर लिपटी भस्म से हुई थी। महादेव द्वारा वरदान पाने के बाद वो उसका दुरूपयोग करने की सोचने लगा। तब श्रीहरि एक ब्राह्मण का वेश बना कर उसके पास आये और कहा कि "महादेव तो औघड़दानी हैं, उनकी बात का क्या भरोसा। पहले स्वयं अपने सर पर हाथ रख कर देख तो लो कि उन्होंने सही में वरदान दिया भी है या नहीं?" उनकी बातों में आकर भस्मासुर ने अपने सर पर हाथ रखा और भस्म हो गया। 

ऐसी मान्यता है कि महादेव ने जो गुफा बनाई और जहाँ वो ठहरे थे वो वर्तमान में बिहार के कैमूर पहाड़ी पर स्थित है। इस गुफा का नाम है "गुप्तधाम" और श्रावण मास में श्रद्धालु दूर-दूर से यहाँ उन्हें जल चढाने आते हैं।

अब एक प्रश्न आता है कि क्या होता यदि भस्मासुर महादेव के सर पर हाथ रख भी देता तो? कुछ लोग पूछते हैं कि क्या महादेव भस्म हो जाते? ऐसा सोचने से अधिक हास्यप्रद और कुछ हो ही नहीं सकता। जो महादेव प्रलय के अंत में अपनी एक हुंकार से सारी सृष्टि को भस्म कर देते हैं, वो क्या एक तुच्छ राक्षस द्वारा भस्म हो जाते? ऐसा सोचना ही मूर्खता है।

तो महादेव का कुछ होने से तो रहा किन्तु यदि ऐसा हो जाता तो महादेव द्वारा भस्मासुर को दिया गया वरदान झूठा हो जाता। जब ईश्वर का वचन झूठा हो जाये तो ये सृष्टि कैसे चल सकती है। दूसरा कि यदि महादेव स्वयं भस्मासुर का वध कर देते तो भी अधर्म होता क्यूंकि वो महादेव का भक्त था और उसे स्वयं उनका ही वरदान प्राप्त था। इसी कारण स्वयं अपने वरदान की रक्षा करने हेतु और भस्मासुर को स्वयं के क्रोध से ही बचाने के लिए महादेव उससे दूर चले गए। 

अब एक प्रश्न आता है कि फिर महादेव को भस्मासुर से भागते हुए क्यों दिखाया जाता है? तो इसका उत्तर है आज कल की फिल्मों और टीवी सीरियलों के कारण। उन्हें केवल मनोरंजन से मतलब है, भले ही उसके लिए धर्म का लोप हो जाये। सर्वप्रथम महादेव को भस्मासुर से डर कर भागते हुए १९६६ में आई एक तेलुगु फिल्म "मोहिनी भस्मासुर" में दिखाया गया। उसके बाद तो ऐसे दृश्यों की बाढ़ आ गयी। भस्मासुर पर उसके बाद जितनी भी फिल्म या टीवी सीरियल बनें, सब में मनोरंजन के नाम पर इसी प्रकार महादेव का अपमान किया गया जो आज तक चल रहा है।

अतः इन सब बेकार के फिल्मों और टीवी सीरियलों पर विश्वास करना छोड़ें। हमारे पौराणिक ग्रन्थ इन कथाओं से भरे पड़े हैं, उन्हें पढ़ें। इससे हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी को अपने महान हिन्दू धर्म पर गर्व होगा।

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