हिन्दू धर्म में सप्त संख्या का महत्त्व

हिन्दू धर्म में सप्त संख्याओं का बड़ा महत्त्व है। ऐसी कई चीजें हैं जिससे सप्त संख्या सीधे तौर पर जुडी हुई है। आइए इसे देखते हैं:
  • सप्तद्वीप: जम्बूद्वीपप्लक्षद्वीपशाल्मलद्वीपकुशद्वीपक्रौंचद्वीपशाकद्वीप एवं पुष्करद्वीप
  • सप्त पुरियां: अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, उज्जैन एवं द्वारका
  • सप्त सागर: लवण सागर, इक्षुरस सागर, मदिरा सागर, घृत सागर, दधि सागर, क्षीर सागर एवं मीठे जल का सागर 
  • सप्त नदी: गंगा, गोदावरी, यमुना, सिंधु, सरस्वती, कावेरी एवं नर्मदा
  • सप्त ऋषि: मारीचि, अत्रि, अंगिरस, पुलहक्रतु, पुलत्स्य एवं वशिष्ट 
  • सप्तर्षि भार्या: कला, अनुसूया, सुरूपा, क्षमा, सन्नति, हविर्भुवा एवं अरुंधति
  • सप्त दिवस: रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार एवं शनिवार
  • सप्त ग्रह: राहु और केतु को छोड़ कर नवग्रहों में सप्त देव ग्रह हैं। ये हैं - सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र एवं शनि
  • सप्त पाताल: अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल , महातल और पाताल
  • सप्त छंद: गायत्री, वृहत्ती, उष्टिक, जगती, त्रिष्टुप, अनुष्टुप एवं पंक्ति
  • सप्त योग: ज्ञानयोग, कर्मयोग, भक्तियोग, ध्यानयोग, राजयोग, हठयोग एवं सहजयोग
  • सप्त सुर: सा, रे, गा, मा, पा, धा एवं नी
  • सप्त भूत: भूत, प्रेत, पिशाच, कूष्माण्डा, बेताल, क्षेत्रपाल एवं ब्रह्मराक्षस
  • सप्त वायु: प्रवह, आवह, उद्वह, संवह, विवह, परिवह एवं परावह
  • सप्त लोक: भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक एवं सत्यलोक (ब्रह्मलोक)
  • सप्त पर्वत: सुमेरु, कैलाश, मलय, हिमालय, उदयाचल, हस्ताचल एवं गन्धमादन
  • सप्त चिरंजीवी: हनुमान, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, परशुराम, दैत्यराज बलि, विभीषण एवं महर्षि व्यास
  • सप्त सती: वैसे तो हिन्दू धर्म में पञ्चसती की बहुत प्रसिद्ध हैं जिनका वर्णन हर जगह मिलता है किन्तु कुछ स्थानों पर सप्त सतियों का वर्णन भी मिलता है। ये हैं - तारा, मंदोदरी, अहिल्या, कुंती, द्रौपदी, अनुसूया एवं सीता
  • सप्त देवता: पञ्चसतियों के समान ही पंचदेवता की प्रसिद्धि अधिक है किन्तु कई स्थानों पर सात प्रमुख देवताओं का वर्णन आता है। ये हैं - गणेश, शिव, विष्णु, सूर्य, दुर्गा, इंद्र एवं वरुण
  • सप्त हरि: गुप्तहरि, विष्णुहरि, चक्रहरि, पुण्यहरि, चन्द्रहरि, धर्महरि एवं बिल्वहरि
  • सप्त कुंडली चक्र: सहस्रदल चक्र, आज्ञा चक्र, विशुद्ध चक्र, अनाहत चक्र, मणिपुर चक्र, स्वदिष्टान चक्र एवं मूलाधार चक्र।

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