महाराज सगर

महाराज सगर
राजा सगर भगवान श्रीराम के पूर्वज थे। इन्ही के पुत्रों की गलती के कारण माता गंगा को पृथ्वी पर आना पड़ा था। इनकी कथा हमें रामायण के बालकाण्ड के सर्ग ३८ में मिलती है जब महर्षि विश्वामित्र श्रीराम और लक्ष्मण को माता गंगा की उत्पत्ति की कथा सुना रहे होते हैं।

बोनालु और पोथराजू

बोनालु तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में मनाया जाने वाला एक त्यौहार है जो आषाढ़ महीने में माता काली के एक रूप जिसे स्थानीय भाषा में येल्लम्मा कहा जाता है, उनके सम्मान में मनाया जाता है। विशेषकर इसे हैदराबाद और सिकंदराबाद में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। तीन हफ़्तों तक हर रविवार चलने वाला ये त्यौहार मनुष्यों द्वारा माता की कृपाओं का आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है।

क्या द्रौपदी स्वयंवर में तेल में मछली को देखकर निशाना लगाने की शर्त थी?

क्या द्रौपदी स्वयंवर में तेल में मछली को देखकर निशाना लगाने की शर्त थी?
जब भी हम द्रौपदी स्वयंवर की बात करते हैं तो हमें एक प्रतियोगिता याद आती है जो द्रौपदी के पिता महाराज द्रुपद ने रखी थी। हममे से अधिकतर लोग यही जानते हैं कि द्रौपदी स्वयंवर में ये शर्त थी कि जो कोई वीर नीचे रखे पात्र, जिसमें तेल भरा था, उसमें ऊपर घूमती हुए मछली की परछाई देख कर उसकी आंख में बाण मार सकेगा, वही द्रौपदी का पति होगा। हालाँकि जब हम व्यास महाभारत पढ़ते हैं तो हमें ऐसा कोई वर्णन नहीं मिलता।

क्या हनुमान जी के पास कोई गदा थी?

क्या हनुमान  जी के पास कोई गदा थी?
कई देवता आपने आयुधों के बिना अधूरे होते हैं। जैसे भगवान विष्णु सुदर्शन, भगवान शंकर त्रिशूल और देवराज इंद्र वज्र के बिना। उसी प्रकार यदि हम पवनपुत्र हनुमान की बात करें तो उनकी गदा उनसे अभिन्न रूप से जुडी हुई है। हमने शायद ही हनुमान जी की ऐसी कोई तस्वीर देखी हो जिसमें वे गदा धारण किये हुए ना हों। लेकिन क्या हो यदि मैं आपको बताऊँ कि रामायण में कहीं भी हनुमान जी के पास किसी गदा के होने का कोई वर्णन नहीं है।

इन्होने भी जुआ खेला पर पत्नी को दांव पर नहीं लगाया

इन्होने भी जुआ खेला पर पत्नी को दांव पर नहीं लगाया
कुछ समय पहले हमने नल-दमयंती पर एक लेख प्रकाशित किया था। उसी कथा में हमें एक ऐसी घटना का वर्णन मिलता है जो महाभारत के द्युत सभा की कथा से बहुत मिलती जुलती है। ये तो हम सभी जानते हैं कि महाभारत में द्युत के समय युधिष्ठिर ने अपने चारो भाइयों और फिर स्वयं को तो दांव पर लगाया ही, किन्तु इसके बाद वे रुके नहीं और अपनी पत्नी द्रौपदी को भी उन्होंने दांव पर लगा दिया।

क्या रंगभूमि में कर्ण को अवसर नहीं दिया गया था?

क्या रंगभूमि में कर्ण को अवसर नहीं दिया गया था?
रंगभूमि में कर्ण और अर्जुन का सामना महाभारत के सबसे रोचक प्रसंगों में से एक है। आम तौर पर हम ये जानते हैं कि जब द्रोणाचार्य ने शिक्षा के बाद सभी राजकुमारों के कला प्रदर्शन हेतु रंगभूमि में समारोह किया तो सभी राजकुमारों ने एक से बढ़कर एक कला का प्रदर्शन किया। उन सब में से सबसे बढ़ चढ़ कर अर्जुन थे जिन्होंने ऐसे ऐसे कौशल दिखाए जिसे देख कर दर्शक हैरान रह गए।

क्या हनुमान कभी लंका में विभीषण से मिले थे?

क्या हनुमान कभी लंका में विभीषण से मिले थे?
रामायण के सन्दर्भ में हमें एक कथा का वर्णन मिलता है जब हनुमान जी माता सीता की खोज में जाते हैं तो लंका में बहुत खोजने के बाद भी उन्हें माता सीता के दर्शन नहीं होते। तब उनकी भेंट महात्मा विभीषण से होती है और उन्ही के द्वारा उन्हें माता सीता के अशोक वाटिका में होने की बात पता चलती है। ये कथा सदियों से हमारे बीच प्रचलित है किन्तु क्या आपको ये पता है कि वास्तव में हनुमान जी कभी लंका में विभीषण से मिले ही नहीं थे।

गरुड़

गरुड़
ये तो हम सब जानते ही हैं कि महर्षि कश्यप ने प्रजापति दक्ष की १७ कन्याओं से विवाह किया जिससे समस्त जातियों की उत्पत्ति हुई। उन्ही में से दो कन्याएं थी - कुद्रू और विनता। कुद्रू ने महर्षि कश्यप से १००० और विनता ने केवल २ पराक्रमी पुत्रों का अनुरोध किया। महर्षि की कृपा से ऐसा ही हुआ। कुद्रू ने १००० और विनता ने २ अण्डों का प्रसव किया।

राजा उपरिचर वसु

राजा उपरिचर वसु
महाभारत में सत्यवती के बारे में आप लोगों ने सुना होगा। वे महाराज शांतनु की पत्नी और चित्रांगद और विचित्रवीर्य की माता थी। महर्षि व्यास का जन्म भी उन्ही के गर्भ से हुआ था। हालाँकि उनके जन्म के विषय में लोगों को अधिक जानकारी नहीं है। अधिकांश लोगो को ये पता है कि वो दाशराज की पुत्री थी किन्तु दाशराज केवल उनके पालक पिता थे। महाभारत के आदिपर्व के अंशअवतरणपर्व के ६३वें अध्याय में हमें उनके जन्म के विषय में पता चलता है जिसके अनुसार सत्यवती वास्तव में एक राज कन्या थी।

योगमाया कौन है?

"मैं सभी के लिये प्रकट नही हूँ क्योंकि में अपनी शक्ति योगमाया द्वारा आच्छादित रहता हूँ।"

श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय ७, श्लोक २५

जब भी हम भगवान श्रीकृष्ण का जीवन वृतांत पढ़ते हैं तो हमें एक देवी के बारे में बार बार पता चलता है। दुःख की बात ये है कि उनके विषय में हमें बहुत अधिक जानकारी नहीं मिलती। उनका नाम है योगमाया। इनके बारे में सबसे अधिक पूछा जाने वाला प्रश्न है कि आखिर कौन है ये योगमाया? तो आज इस लेख में हम उन्ही के विषय में जानेंगे।