श्री कृष्ण की सभी पत्नी और पुत्र

श्रीकृष्ण के जीवन में स्त्रियों का बड़ा महत्त्व रहा है, चाहे वो राधा और अथवा रुक्मिणी। श्रीकृष्ण ने सर्वप्रथम विदर्भ देश की कन्या रुक्मिणी से विवाह किया जो उनकी पटरानी बनी। इसके अतिरिक्त उनकी दो और प्रमुख पत्नियाँ थी - जांबवंती एवं सत्यभामा। श्रीकृष्ण की मुख्य रानियों की संख्या ८ बताई गयी है। जब उन्होंने नरकासुर का वध किया तो उसके कैद में १६१०० स्त्रियाँ थी। उन अपहृत स्त्रियों का ना कोई परिवार था और ना ही कोई ठिकाना। तब उनके उद्धार के लिए उन्होंने उन सभी १६१०० स्त्रियों को भी अपनी पत्नियों का पद प्रदान किया।

इस प्रकार उनकी कुल पत्नियों की संख्या १६१०८ हुई। श्रीकृष्ण अपनी माया से सभी पत्नियों के साथ रहा करते थे और उन्होंने सभी से १०-१० पुत्र और १-१ पुत्रियाँ प्राप्त की। इस प्रकार उनके कुल पुत्रों की संख्या १६१०८० एवं पुत्रियों की संख्या १६१०८ होती है। दुर्भाग्य से गांधारी के श्राप के कारण यदुकुल का सर्वनाश हो गया। उनकी सभी पत्नियों और पुत्रों के नाम बताना तो संभव नहीं किन्तु उनकी ८ मुख्य रानियों और उनके पुत्रों के नाम नीचे दिए गए हैं। 
  1. रुक्मिणी
    1. प्रधुम्न
    2. चारुदेष्ण
    3. सुदेष्ण
    4. चारुदेह
    5. सुचारू
    6. चरुगुप्त
    7. भद्रचारू
    8. चारुचंद्र
    9. विचारू
    10. चारू
  2. सत्यभामा
    1. भानु
    2. सुभानु
    3. स्वरभानु
    4. प्रभानु
    5. भानुमान
    6. चंद्रभानु
    7. वृहद्भानु
    8. अतिभानु
    9. श्रीभानु
    10. प्रतिभानु
  3. जाम्बवंती
    1. साम्ब
    2. सुमित्र
    3. पुरुजित
    4. शतजित
    5. सहस्त्रजित
    6. विजय
    7. चित्रकेतु
    8. वसुमान
    9. द्रविड़
    10. क्रतु
  4. सत्या
    1. वीर
    2. चन्द्र
    3. अश्वसेन
    4. चित्रगुप्त
    5. वेगवान
    6. वृष
    7. आम
    8. शंकु
    9. वसु
    10. कुन्ति
  5. कालिंदी
    1. श्रुत
    2. कवि
    3. वृष
    4. वीर
    5. सुबाहु
    6. भद्र
    7. शांति
    8. दर्श
    9. पूर्णमास
    10. सोमक
  6. लक्ष्मणा
    1. प्रघोष
    2. गात्रवान
    3. सिंह
    4. बल
    5. प्रबल
    6. ऊर्ध्वग
    7. महाशक्ति
    8. सह
    9. ओज 
    10. अपराजित
  7. मित्रविन्दा
    1. वृक
    2. हर्ष
    3. अनिल
    4. गृध्र
    5. वर्धन
    6. अन्नाद
    7. महांस
    8. पावन
    9. वह्नि
    10. क्षुधि
  8. भद्रा
    1. संग्रामजित
    2. वृहत्सेन
    3. शूर
    4. प्रहरण
    5. अरिजित
    6. जय
    7. सुभद्र
    8. वाम
    9. आयु
    10. सत्यक

9 टिप्‍पणियां:

  1. नीलाभ जी बहुत अच्छी जानकारी हैं, धन्यवाद...वन्देमातरम..

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  2. Thanks for this post, will help me in finding beautiful names. And congrats on your book. :)

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  3. Dear Nilabh,

    I have found more point in your this website articles which are not real as per Vedic Granthas', Vedas' and Puranas. It may harm your goodwill of this website and youe website will get down ranking so.

    So please read your articles in glance of original articles of Granths and update them.

    From:

    Dr. S. K. Dubey
    Director: Cosmic Jyotish Research Centre "CJRC"
    Email: cosmicjyotish@gmail.com

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  4. Mr. Dubey,

    Thanks for your valuable advice. However I always want to keep my own views in my article. Thanks to become a reader.

    Nilabh

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  5. MaaGreets! Great job dude! u have taken so much effort! Kudos on using Hindi! Continue thy effort!

    Crisna

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  6. श्री नीलाभ जी!
    मैने कहीं पर रुक्मिणी से चारुमती नामक एक कन्या और 9 पुत्र होना पाया था। और चारुमती का विवाह कृतवर्मा के पुत्र से हुई थी। कृपया अन्यथा न लें और सच्चाई क्या है अवगत करायें। मैं टिप्पणी बहुत कम करता हूँ। धर्म संसार से वर्षों से जुड़ा हुआ हूँ। आभारी रहूँगा।

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    1. इसमें अन्यथा लेने की क्या बात है कामता जी? चूँकि ये लेख केवल श्रीकृष्ण के पुत्रों के विषय में है इसी कारण इसमें पुत्रियों का वर्णन नहीं है। वैसे भी पौराणिक ग्रंथों में श्रीकृष्ण के पुत्रों (सभी नहीं केवल यही ८०) की ही अधिक व्याख्या है। आपका कहना सत्य है। भागवत के अनुसार श्रीकृष्ण के रुक्मिणी से इन १० पुत्रों के अतिरिक्त एक पुत्री भी थी जिसका नाम चारुमति था। हालाँकि स्वामी प्रभुपाद की कृष्णकथा के अनुसार श्रीकृष्ण की सभी १६१०८ रानियों से १०-१० पुत्रों के अतिरिक्त १-१ पुत्रियां भी थी। अगर इस सन्दर्भ को मानें तो श्रीकृष्ण की पुत्रियों की संख्या भी १६१०८ बनती है।

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