संध्यावंदन एवं उपचार

संध्यावंदन एवं उपचार
हिन्दू धर्म में पूजा एवं संध्यावंदन का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रतिदिन संध्यावंदन करने से मनुष्य को इष्ट वस्तुओं की प्राप्ति होती है और साथ ही ये हमें शांति भी प्रदान करती है। हिन्दू धर्म में सन्ध्योपासना के ५ प्रकार बताये गए हैं जो इस प्रकार हैं:
  1. संध्या वंदन
  2. प्रार्थना 
  3. ध्यान 
  4. कीर्तन 
  5. आरती
पूजा विधि में विभिन्न प्रकार की सामग्री इष्ट देवता को अर्पित की जाती है जिसे "उपचार" के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में पञ्च (५), दश (१०) एवं षोडश (१६) उपचार का वर्णन है। जैसा उपचार होता है उसी के अनुसार उतनी सामग्रियां देवताओं को अर्पण की जाती है। ये इस प्रकार हैं:

पञ्च उपचार 
  1. गंध 
  2. पुष्प 
  3. धूप 
  4. दीप 
  5. नैवेद्य 
दश उपचार
  1. पाद्य
  2. अर्घ्य
  3. आचमन
  4. स्नान
  5. वस्त्र
  6. गंध
  7. पुष्प
  8. धूप
  9. दीप
  10. नैवेद्य
षोडश उपचार 
  1. पाद्य
  2. अर्घ्य
  3. आचमन
  4. स्नान
  5. वस्त्र
  6. आभूषण
  7. गंध
  8. पुष्प
  9. धूप
  10. दीप
  11. नैवेद्य
  12. आचमन
  13. ताम्बूल
  14. स्तवपाठ
  15. तर्पण
  16. नमस्कार

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