महापुराण

महाभारत के बाद महर्षि व्यास की सबसे प्रमुख कृति पुराण ही मानी जाती है। महर्षि व्यास ने कुल १८ पुराण लिखे जिन्हे महापुराण भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य ऋषियों द्वारा लिखी गयी कृतियों को उप पुराण भी कहा जाता है। इन पुराणों में समाहित ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। जो भी ज्ञान पृथ्वी पर है वो सभी इन पुराणों में वर्णित है। मूलतः पुराणों को दो भागों में विभक्त किया जाता है:
  1. महापुराण: महर्षि व्यास द्वारा लिखित 
  2. उप पुराण: अन्य ऋषियों द्वारा लिखित
महापुराण: ये वो १८ महान ग्रन्थ हैं जिनकी रचना महर्षि व्यास ने की थी और जिन्हे हम आम तौर पर पुराण कहते हैं। इन सबके सम्मलित श्लोकों की संख्या ४०९५०० है। इनमे से सबसे बड़ा स्कन्द पुराण और सबसे छोटा मार्कण्डेय पुराण है। ये हैं:
  1. ब्रह्म पुराण (१०००० श्लोक): इस पुराण में सृष्टि की उत्पत्ति, सूर्य एवं चन्द्रवंश का वर्णन, श्रीराम एवं श्रीकृष्ण चरित्र, मार्कण्डेय चरित्र, तीर्थों का माहात्म्य, शिव पार्वती विवाह, पृथ्वी, भूगोल, स्वर्ग, नर्क इत्यादि का वर्णन किया गया है। इसमें श्रीकृष्ण की लीलाओं का विशेषरूप से वर्णन किया गया है।
  2. पद्म पुराण (५५००० श्लोक): इस पुराण में भगवान् विष्णु की महिमा के साथ श्रीराम तथा श्रीकृष्ण के चरित्र, विभिन्न तीर्थों का माहात्म्य, शालिग्राम और तुलसी की महिमा एवं विभिन्न व्रतों का वर्णन है।
  3. विष्णु पुराण (२३००० श्लोक): विष्णु पुराण में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, वर्ण व्यवस्था, आश्रम व्यवस्था, श्रीहरि और देवी लक्ष्मी, ध्रुव प्रह्लाद आदि राजाओं के वर्णन, विकास की परम्परा, भारत आदि नौ खण्ड, सप्त द्वीप, चौदह विद्याओं, वैवस्वत मनु, चंद्र एवं सूर्यवंश का वर्णन है।
  4. शिव पुराण (२४००० श्लोक): विद्वान वायु पुराण को भी शिव महापुराण का ही भाग मानते हैं, जिसमे ११००० श्लोक हैं। इस पुराण के छः खण्डों - विद्येश्वर संहिता, रुद्र संहिता, कोटिरुद्र संहिता, उमा संहिता, कैलास संहिता एवं वायु संहिता में भगवान शिव के चरित्र का वर्णन किया गया है। 
  5. भागवत पुराण (१८००० श्लोक): कुछ लोग इसे देवीभागवत या श्रीमद्भागवत पुराण भी कहते हैं। इस पुराण में मुख्यतः श्रीकृष्ण के अलौकिक परब्रह्म स्वरुप की व्याख्या की गयी है। 
  6. नारद पुराण (२५००० श्लोक): वैसे तो इस पुराण के श्लोकों की संख्या २५००० है किन्तु वर्तमान में केवल २२००० श्लोक ही उपलब्ध हैं। ये पुराण इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्यूंकि इसमें सभी १८ महापुराणों का वर्णन है। ये पुराण दो भागों में विभाजित है - पूर्व भाग और उत्तर भाग। 
  7. मार्कण्डेय पुराण (९००० श्लोक): से सबसे छोटा पुराण है। इस पुराण में महर्षि जैमिनी और पक्षियों के बीच हुआ संवाद है। इसमें दुर्गा शप्तशती, हरिश्चंद्र एवं विभिन्न देवी देवताओं की कथा है। 
  8. अग्नि पुराण (१५४०० श्लोक): इसमें त्रिदेवों एवं सूर्य की उपासना का वर्णन है। इस पुराण के भी केवल १५००० श्लोक अभी उपलब्ध हैं। इसमें अग्निदेव की महत्ता के विषय में विस्तार पूर्वक वर्णन है। 
  9. भविष्य पुराण (१४५०० श्लोक): इस पुराण में भविष्य और कलियुग की घटनाओं के विषय में वर्णन है। आज कल के संस्करण में इसमें इस्लाम और ईसाई धर्म के विषय में भी जानकारी मिलती है जो कहा जाता है कि बहुत बाद में जोड़ी गयी। इसी कारण इस पुराण की प्रमाणिकता पर विद्वान प्रश्न उठाते हैं। कई विद्वान भविष्य पुराण की जगह वायु पुराण को १८ पुराणों में स्थान देते हैं। 
  10. ब्रह्मवैवर्त पुराण (१८००० श्लोक): इस पुराण में ब्रह्माजी द्वारा समस्त भू-मंडल, जल-मंडल और वायु-मंडल में विचरण करने वाले जीवों के जन्म और उनके पालन पोषण का सविस्तार वर्णन किया गया है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का विस्तृत वर्णन, श्रीराधा की गोलोक-लीला तथा अवतार-लीलाका सुन्दर विवेचन, विभिन्न देवताओं की महिमा का वर्णन है।
  11. लिंग पुराण (११००० श्लोक): इस पुराण में महर्षि व्यास ने युगों का वर्णन और भगवान शिव की महत्ता और उनके २४ अवतारों के विषय में विस्तार पूर्वक बताया है। 
  12. वराह पुराण (२४००० श्लोक): इसमें श्रीहरिके वराह अवतार की मुख्य कथा, तीर्थ, व्रत, यज्ञ-यजन, श्राद्ध-तर्पण, दान और अनुष्ठान, श्रीहरि की महिमा, पूजन-विधान, हिमालय की पुत्री के रूप में गौरी की उत्पत्ति का वर्णन और भगवान शंकर के साथ उनके विवाह की कथा का वर्णन है।
  13. स्कन्द पुराण (८११०० श्लोक): ये सबसे बड़ा पुराण है जिसमें सभी तीर्थों और भगवान शंकर की कथाओं का विस्तार पूर्वक वर्णन है। कहते हैं इस पुराण का वचन स्वयं कार्तिकेय ने किया था इसी कारण इसका नाम उन्ही के नाम पर स्कन्द पुराण पड़ा। 
  14. वामन पुराण (१०००० श्लोक): इसमें वामन, नर-नारायण, दुर्गा, प्रह्लाद, श्रीदामा, भगवान शिव, जीवमूत वाहन, दक्ष यज्ञ विध्वंस, कामदेव दहन, अंधक वध, लक्ष्मी चरित्र इत्यादि का वर्णन है। 
  15. कूर्म पुराण (१७००० श्लोक): ये पुराण भगवान विष्णु और महादेव को समर्पित है जिसमे उन दोनों की एकरूपता एवं समान महत्त्व के विषय में बताया गया है। 
  16. मत्स्य पुराण (१४००० श्लोक): इसमें श्रीहरि के मत्स्य अवतार, तीर्थ, व्रत, यज्ञ, दान, जल प्रलय, मत्स्य व मनु का संवाद, राजधर्म एवं त्रिदेवों की महिमा के विषय में जानकारी है।
  17. गरुड़ पुराण (१९००० श्लोक): वर्तमान गरुड़ पुराण में केवल ८००० श्लोक ही उपलब्ध हैं। इसमें मृत्यु उपरांत होने वाली मनुष्यों की गति के विषय जानकारी दी गयी है। किसी की मृत्यु हो जाने पर इस पुराण को सुनने का विशेष महत्त्व है।  
  18. ब्रह्मांड पुराण (१२००० श्लोक): इस पुराण के १२००० श्लोक चार भागों में विभक्त हैं - प्रक्रियापाद, अनुषपाद, उपोदघात और उपसंहारपाद। इसमें ब्रह्माण्ड की संरचना और खगोलीय विज्ञान के विषय में विस्तार से जानकारी दी गयी है। 
ये सभी पुराण मुख्यतः ५ देवताओं को समर्पित हैं, जिनमे से सबसे अधिक पुराण भगवान शिव और श्रीहरि पर आधारित हैं।
  1. अग्निदेव
    1. अग्नि पुराण
  2. सूर्यदेव
    1. ब्रह्मवैवर्त पुराण
  3. ब्रह्मदेव
    1. ब्रह्म पुराण 
    2. पद्म पुराण 
  4. भगवान विष्णु
    1. विष्णु पुराण 
    2. भागवत पुराण 
    3. नारद पुराण 
    4. गरुड़ पुराण 
    5. भविष्य पुराण
    6. वराह पुराण 
    7. मत्स्य पुराण
  5. भगवान शिव
    1. शिव पुराण 
    2. लिंग पुराण 
    3. स्कन्द पुराण 
    4. वामन पुराण 
    5. कूर्म पुराण 
    6. मार्कण्डेय पुराण 
    7. ब्रह्मांड पुराण
ये १८ पुराण ६-६ खंडों में तीनों गुणों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।
  1. सतोगुण
    1. विष्णु पुराण 
    2. भागवत पुराण 
    3. नारद पुराण 
    4. वराह पुराण 
    5. गरुड़ पुराण 
    6. पद्म पुराण 
  2. रजोगुण
    1. ब्रह्मांड पुराण 
    2. मार्कण्डेय पुराण 
    3. ब्रह्मवैवर्त पुराण 
    4. भविष्य पुराण 
    5. ब्रह्म पुराण
    6. वामन पुराण 
  3. तमोगुण
    1. लिंग पुराण 
    2. शिव पुराण 
    3. मत्स्य पुराण 
    4. कूर्म पुराण 
    5. अग्नि पुराण 
    6. स्कन्द पुराण
उप-पुराण: महापुराणों के अतिरिक्त १८ उप-पुराण भी हैं जिनके लेखक अन्य प्रमुख ऋषि हैं। हालांकि इनमे से कई अब लुप्त हो चुके हैं और उनकी लिखित प्रति उपलब्ध नही है। ये हैं:
  1. आदि पुराण: रचियता सनत्कुमार
  2. नृसिंह पुराण: रचियता वेदव्यास 
  3. नंदी पुराण: रचियता कार्तिकेय
  4. शिवधर्म पुराण: शिव पुराण का ही संवर्धित रूप। रचियता व्यास मुनि। 
  5. आश्चर्य पुराण: रचियता दुर्वासा
  6. नारदीय पुराण: रचियता नारद 
  7. कपिल पुराण: रचियता कपिल मुनि 
  8. मानव पुराण: रचियता नारद 
  9. उष्णासा पुराण: रचियता उष्णष
  10. ब्रह्मांड पुराण: रचियता वेदव्यास 
  11. वरुण पुराण: रचियता वरुण 
  12. कालिका पुराण: कलियुग का वर्णन
  13. महेश्वर पुराण: भगवान शिव को समर्पित। कार्तिकेय द्वारा वाचन किया गया। 
  14. साम्ब पुराण: सूर्यदेव को समर्पित
  15. सौर पुराण: खगोलीय विज्ञान पर आधारित  
  16. पराशर पुराण: रचयिता पराशर मुनि
  17. मरीचि पुराण: रचियता महर्षि मरीचि 
  18. भार्गव पुराण: रचियता भृगु ऋषि
इसके अतिरिक्त भी कई अन्य ग्रन्थ जैसे विष्णुधर्म, बृहद्धर्म, गणेश पुराण, मुद्दल पुराण, एकआम्र पुराण दत्त पुराण इत्यादि हैं जिन्हे उप-पुराण माना जाता है किन्तु ऊपर वर्णित १८ ग्रंथों को ही वास्तविक उप-पुराण की मान्यता प्राप्त है।

4 टिप्‍पणियां:

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  2. THE NO. OF SLOKA IN SKAND PURAN IS 21100 INSTED OF 81100 MAKE IT CORRECT.

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    1. Paritosh, thanks for writing. The no of verse in Skanda Purana is 81100. After your feedback, I have rechecked it and found it's correct no. However, I am so thankful to your feedback and looking the same in future too.

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