आज कल एक कथा बड़ी प्रचलित है कि मेघनाद को केवल वही व्यक्ति मार सकता था जो १४ वर्षों से ना सोया हो। कुछ लोग इसे एक कदम और आगे बढ़ा देते हैं और कहते हैं कि ना सिर्फ १४ वर्षों तक सोया ना हो बल्कि १४ वर्षों से भोजन भी ना किया हो।
अब ये तो सभी जानते हैं कि मेघनाद को लक्ष्मण जी ने मारा था इसीलिए ये कथा चल पड़ी कि लक्ष्मण जी वनवास के १४ वर्षों में सोये नहीं थे। कुछ लोग इसे और भी नाटकीय बना देते हैं कि १४ वर्षों के लिए लक्ष्मण ने अपनी निद्रा अपनी पत्नी उर्मिला को दे दी। हालाँकि ये सब केवल लोक कथा है और मूल वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस में ऐसा कोई भी वर्णन नहीं है।
जब आप मूल वाल्मीकि रामायण पढ़ेंगे तो आपको लक्ष्मण जी के सोने-जागने का कोई विशेष वर्णन नहीं मिलेगा। पर एक जगह महर्षि वाल्मीकि ने श्रीराम द्वारा लक्ष्मण जी को जगाने के बारे में कहा है जिससे ये सिद्ध होता है कि लक्ष्मण जी भी श्रीराम और माता सीता की भांति वनवास के काल में सामान्य रूप से सोते थे। इसके अतिरिक्त उनके द्वारा कंद मूल खाने का भी वर्णन है जिससे ये सिद्ध होता है कि वे भूखे भी नहीं रहते थे।
वालमीकि रामायण के अयोध्या कांड के सर्ग ५६ का पहला श्लोक ही इसे सिद्ध करता है। इस सर्ग में श्रीराम को चित्रकूट पहुँच कर महर्षि वाल्मीकि के दर्शन करने होते हैं और इसी कारण वे सवेरे जग कर लक्ष्मण को भी जागते हैं। इस सर्ग के पहले, दूसरे और तीसरे श्लोक में ही इसका स्पष्ट वर्णन है।
अयोध्या कांड, सर्ग ५६, श्लोक १ -
अथ रात्र्यां व्यातीतायामवसुप्तमनन्तरम्।
प्रबोधयामास शनैर्लक्ष्मणं रघुपुङ्गवः।।
अर्थात: तदनन्तर रात्रि व्यतीत होने पर रघुकुल-शिरोमणि श्रीराम ने अपने जागने के बाद वहाँ सोये हुए लक्ष्मण को धीरे से जगाया (और इस प्रकार कहा)।
अयोध्या कांड, सर्ग ५६, श्लोक २ -
सौमित्रे शृणु वन्यानां वल्गु व्याहरतां स्वनम्।
सम्प्रतिष्ठामहे कालः प्रस्थानस्य परंतप।।
अर्थात: शत्रुओं को संताप देने वाले सुमित्राकुमार! मीठी बोली बोलने वाले शुक-पिक आदि जंगली पक्षियों का कलरव सुनो। अब हमलोग यहाँ से प्रस्थान करें; क्योंकि प्रस्थान के योग्य समय आ गया है’।
अयोध्या कांड, सर्ग ५६, श्लोक ३ -
प्रसुप्तस्तु ततो भ्रात्रा समये प्रतिबोधितः।
जहौ निद्रां च तन्द्रां च प्रसक्तं च परिश्रमम्।।
अर्थात: सोये हुए लक्ष्मण ने अपने बड़े भाई द्वारा ठीक समय पर जगा दिये जाने पर निद्रा, आलस्य तथा राह चलने की थकावट को दूर कर दिया।
हमें ये समझना चाहिए कि लक्ष्मण निःसंदेह एक आदर्श भाई थे किन्तु इसे सिद्ध करने के लिए उनका १४ वर्षों तक ना सोना या भूखा रहना आवश्यक नहीं। हाँ ये अवश्य है कि लक्ष्मण जी ने अपने भाई और भाभी की सेवा में सभी पराकाष्ठाओं को पार कर दिया था। अपने भाई और भाभी की रक्षा के लिए रात्रि में जागने के कई वर्णन रामायण और मानस दोनों में है। साथ ही उनके द्वारा विशेष रूप से विश्राम करने का वर्णन ना तो रामायण में है और ना ही मानस में। किन्तु ये जो भ्रान्ति है कि वो १४ वर्षों तक के तनिक भी नहीं सोये, ये गलत है।
ये सब लोक कथाएं हैं और जब हम इसके बारे में वर्णन करते हैं तो ये हमारा दायित्व बनता है कि हम इसके विषय में ये स्पष्ट रूप से बताएं कि ये एक लोक कथा है, ना कि रामायण का भाग ताकि भविष्य में लोग इसी को सच ना मानने लगे। हमने भी लक्ष्मण द्वारा मेघनाद के वध और उनकी पत्नी उर्मिला की निद्रा के विषय में लेख और वीडियो बनाया है किन्तु उसमे हमने ये स्पष्ट किया है कि ये केवल एक लोक कथा है, ना कि वाल्मीकि रामायण में ऐसा लिखा गया है।
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