क्या रंगभूमि में कर्ण को अवसर नहीं दिया गया था?

क्या रंगभूमि में कर्ण को अवसर नहीं दिया गया था?
रंगभूमि में कर्ण और अर्जुन का सामना महाभारत के सबसे रोचक प्रसंगों में से एक है। आम तौर पर हम ये जानते हैं कि जब द्रोणाचार्य ने शिक्षा के बाद सभी राजकुमारों के कला प्रदर्शन हेतु रंगभूमि में समारोह किया तो सभी राजकुमारों ने एक से बढ़कर एक कला का प्रदर्शन किया। उन सब में से सबसे बढ़ चढ़ कर अर्जुन थे जिन्होंने ऐसे ऐसे कौशल दिखाए जिसे देख कर दर्शक हैरान रह गए।

क्या हनुमान कभी लंका में विभीषण से मिले थे?

क्या हनुमान कभी लंका में विभीषण से मिले थे?
रामायण के सन्दर्भ में हमें एक कथा का वर्णन मिलता है जब हनुमान जी माता सीता की खोज में जाते हैं तो लंका में बहुत खोजने के बाद भी उन्हें माता सीता के दर्शन नहीं होते। तब उनकी भेंट महात्मा विभीषण से होती है और उन्ही के द्वारा उन्हें माता सीता के अशोक वाटिका में होने की बात पता चलती है। ये कथा सदियों से हमारे बीच प्रचलित है किन्तु क्या आपको ये पता है कि वास्तव में हनुमान जी कभी लंका में विभीषण से मिले ही नहीं थे।

गरुड़

गरुड़
ये तो हम सब जानते ही हैं कि महर्षि कश्यप ने प्रजापति दक्ष की १७ कन्याओं से विवाह किया जिससे समस्त जातियों की उत्पत्ति हुई। उन्ही में से दो कन्याएं थी - कुद्रू और विनता। कुद्रू ने महर्षि कश्यप से १००० और विनता ने केवल २ पराक्रमी पुत्रों का अनुरोध किया। महर्षि की कृपा से ऐसा ही हुआ। कुद्रू ने १००० और विनता ने २ अण्डों का प्रसव किया।

राजा उपरिचर वसु

राजा उपरिचर वसु
महाभारत में सत्यवती के बारे में आप लोगों ने सुना होगा। वे महाराज शांतनु की पत्नी और चित्रांगद और विचित्रवीर्य की माता थी। महर्षि व्यास का जन्म भी उन्ही के गर्भ से हुआ था। हालाँकि उनके जन्म के विषय में लोगों को अधिक जानकारी नहीं है। अधिकांश लोगो को ये पता है कि वो दाशराज की पुत्री थी किन्तु दाशराज केवल उनके पालक पिता थे। महाभारत के आदिपर्व के अंशअवतरणपर्व के ६३वें अध्याय में हमें उनके जन्म के विषय में पता चलता है जिसके अनुसार सत्यवती वास्तव में एक राज कन्या थी।