क्या आप माता सीता के भाई को जानते हैं?

आज मंगलवार है और इस लेख को लिखने के लिए ये दिन सर्वथा उचित है। आज मैं आपको रामायण के उस प्रसंग के बारे में बताऊंगा जिसके बारे में अधिकतर लोग नहीं जानते। हममे से किसी ने देवी सीता के भाई के बारे में नहीं सुना है। उनके किसी भाई का उल्लेख रामायण में कहीं आता भी नहीं है। किन्तु रामायण में एक ऐसा भी प्रसंग है जहाँ किसी ने कुछ समय के लिए माता सीता के भाई की भूमिका निभाई थी।

भगवान शिव और जालंधर का युद्ध

बहुत काल पहले एक बार भगवान शिव की देवी पार्वती के साथ रमण करने की इच्छा हुई। उस समय माता पार्वती अनुष्ठान पर बैठी थी इस कारण उन्होंने महादेव से क्षमा मांगते हुए अपनी असमर्थता जाहिर की। महादेव ने उनका मान रखा और अपने तेज को समुद्र में फेंक दिया। महादेव के तेज को समुद्र संभाल नहीं पाया और तब उससे परम तेजस्वी दैत्य जालंधर की उत्पत्ति हुई।

गंगा दशहरा

गंगा दशहरा
आप सबों को गंगा दशहरा की हार्दिक शुभकामनायें। कुछ दिनों पहले मैंने "गंगा सप्तमी" पर एक लेख लिखा था। कई लोग इन दो पर्वों को एक ही समझ लेते हैं किन्तु ये सही नहीं है। गंगा सप्तमी या गंगा जयंती के दिन महादेव ने देवी गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया था किन्तु आज, गंगा दशहरा के दिन देवी गंगा भगीरथ के पीछे-पीछे पृथ्वी पर पहुँची थी। अर्थात आज का दिन देवी गंगा का पृथ्वी पर अवतार लेने का दिन है। अतः ये दो पर्व भी अलग है और इनका महत्त्व भी।

अपरा एकादशी

अपरा एकादशी
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा या अचला एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। अपरा एकादशी को जलक्रीड़ा एकादशी, भद्रकाली तथा अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु और उनके पाँचवें अवतार भगवान वामन की पूजा की जाती है।

दान के नियम

दान के नियम
हिन्दू धर्म में दान की बड़ी महत्ता बताई गयी है। शास्त्रों में दान को मोक्ष की प्राप्ति का एक साधन भी कहा गया है। ये भी कहा गया है कि दान गृहस्थ आश्रम का आधार है। जिस घर में प्रतिदिन सुपात्र को दान दिया जाता है वही सफल गृहस्थ माना जाता है। आजकल केवल किसी को कुछ दे देना ही दान कहलाता है किन्तु प्राचीन समय में इसके कुछ विशेष नियम थे इनमे से १० महत्वपूर्ण कहे गए हैं। आइये इन महत्वपूर्ण नियम के बारे में कुछ जानते हैं:

पांडवों की सभी पत्नी और पुत्रों के नाम

सभी जानते हैं कि द्रौपदी पाँचों पांडवों की पत्नी थी किन्तु उसके अतिरिक्त भी सभी पांडवों ने अन्य विवाह भी किये। हालाँकि द्रौपदी को पांडवों की पटरानी या ज्येष्ठ रानी कहा जाता है किन्तु वो कुरुकुल की पहली पुत्रवधु नहीं थी। पांडवों में सबसे पहले भीम का विवाह हिडिम्बा नमक राक्षसी से हुआ किन्तु राक्षसी होने तथा कुंती को दिए वचन के कारण भीम ने कभी उसे अपने साथ नहीं रखा और ना ही उसकी गणना कभी कुरुकुल की कुलवधू में हुई। द्रौपदी ने पाँचों पांडवों से विवाह किया और वे बारी-बारी एक वर्ष के लिए एक पांडव की पत्नी बनकर रहती थी।

वट सावित्री

वट सावित्री
आप सबों को वट सावित्री की हार्दिक शुभकामनाएँ। आज का दिन विवाहिता स्त्री के लिए बड़े महत्त्व का दिन होता है। वट सावित्री का व्रत भारत के प्रमुख व्रतों में से एक है और ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने पर ईश्वर स्त्रिओं के सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देते हैं और उनके पति और पुत्र पर किसी प्रकार की आपदा नहीं आती। ये व्रत पौराणिक काल की सतिओं में श्रेष्ठ "सावित्री" से जुड़ा है जिसने अपने पति सत्यवान को स्वयं मृत्यु के मुख से बचा लिया था।

कृष्ण और कर्ण का संवाद

ये कथा तब की है जब कृष्ण शांतिदूत बन कर हस्तिनापुर गए थे। जब उनका प्रयास असफल हो गया तो युद्ध भी अवश्यम्भावी हो गया। उस स्थिति में ये आवश्यक था कि वे पाण्डवों की शक्ति जितनी बढ़ा सकते थे उतनी बढ़ाएं। इसी कारण उन्होंने वापस लौटते समय कर्ण से मिलने का निश्चय किया। जब कर्ण ने देखा कि श्रीकृष्ण स्वयं उनके घर आये हैं तो उन्होंने उनका स्वागत सत्कार किया। फिर कृष्ण ने कर्ण को अपने रथ पर बिठाया और उन्हें गंगा तट पर ले गए। सात्यिकी को रथ पर ही छोड़ दोनों एकांत में वार्तालाप हेतु चले गए।

अष्टांग योग

अष्टांग योग
पौराणिक काल में महर्षि पतंजलि ने योग को चित्तवृत्तिनिरोधः के रूप में परिभाषित किया है तथा उन्होंने "योगसूत्र" नाम से योगसूत्रों का एक संकलन किया है, जिसमें उन्होंने पूर्ण कल्याण तथा शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि के लिए आठ अंगों वाले योग का एक मार्ग विस्तार से बताया है।

हिन्दू धर्म क्या है?

आज हम सभी लोग धर्म, उपनिषद, वेद, न्याय और अन्य भी कई विषयों पर बातें करते रहते हैं। परंतु हिंदू धर्म और सनातन धर्म कहां से आरंभ होता है और कहां तक जाता है इसके बारे में संपूर्ण जानकारी इस लेख में प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है। हर चीज के बारे में गहनता से बताया गया है ताकि कोई भी पहलू अछूता न रहे। लेकिन आपको यह जानकारी होना चाहिए कि पुराण, रामायण और महाभारत हिन्दुओं के धर्मग्रंथ नहीं है, धर्मग्रंथ तो वेद ही है।

ब्रह्मा

ब्रह्मा हिन्दू धर्म के त्रिदेवों में से एक हैं। ये सृष्टिकर्ता हैं जो पालनहार नारायण एवं संहारक शिव के साथ त्रिमूर्ति को पूर्ण करते हैं। इन्हे हिरण्यगर्भ कहा जाता है क्यूँकि इनकी उत्पत्ति ब्रह्म-अण्ड (ब्रम्हांड) से मानी जाती है। समस्त सृष्टि का सृजन करने के लिए इन्हे परमपिता भी कहा जाता है। हालाँकि ये त्रिदेवों में एक हैं लेकिन आधुनिक युग में इन्हे अन्य दो देवों विष्णु एवं शिव के जितना महत्त्व और सम्मान नहीं दिया जाता जो कि बिलकुल भी सही नहीं है। रही सही कसर आज कल के फालतू धार्मिक टीवी शोज ने पूरी कर दी है।