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अस्वीकरण
8 फ़रवरी 2011
एकश्लोकी रामायण
।
। आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनं
वैदेही हरणं, जटायु मरणं, सुग्रीव संभाषणं
बालि निर्दलं, समुन्द्र तरणं, लंकापुरी दाहनं
पश्चाद्रावण-कुम्भकरण हननं, एतद्धि रामायणं ।।
4 टिप्पणियां:
RAJEEV KUMAR KULSHRESTHA
7 मई 2011 को 10:16 am
nice post
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डॉ॰ मोनिका शर्मा
12 मई 2011 को 5:38 am
Bahut sunder....
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श्रीराम बिस्सा
14 जून 2011 को 2:18 pm
ये है सारभूत तथ्य !
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Ajay Kan,Balat
19 जुलाई 2011 को 11:24 pm
ATI SUNDAR
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nice post
उत्तर देंहटाएंBahut sunder....
उत्तर देंहटाएंये है सारभूत तथ्य !
उत्तर देंहटाएंATI SUNDAR
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